मुंबई February 20, 2009
जैव ईंधन क्षेत्र की बढ़ती मांग और विश्व के दूसरे सबसे बड़े पाम ऑयल उत्पादक मलयेशिया में कम उत्पादन के अनुमानों से कच्चे पाम ऑयल (सीपीओ) की कीमतें दिसंबर 2009 तक 25 फीसदी बढ़ सकती हैं। इंडोनेशिया पाम ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की नवीनतम भविष्यवाणी के अनुसार विश्व में सबसे अधिक खपत वाले खाद्य तेल की कीमतें, ऊर्जा के मूल्य कम होने और पिछला भंडार (मुख्यत: रेपसीड और सूरजमुखी के तेल का) बचे होने के बावजूद, चालू कैलेंडर वर्ष की चौथी तिमाही में 2,500 रिंगिट के स्तर को छू सकता है।
सोमवार को मलयेशियाई डेरिवेटिव्स एक्सचेंज पर अप्रैल डिलिवरी वाले पाम ऑयल का कारोबार 2,024 रिंगिट प्रति टन पर किया गया। इस साल के आरंभ से कच्चे पाम ऑयल (सीपीओ) की कीमतों में 45 प्रतिशत की तेजी आई है लेकिन इससे साल 2008 की ऐतिहासिक 4,400 रिंगिट प्रति टन की कीमतों से हुई कमाई के एक हिस्से की ही भरपाई हो पाई है।
कृषि जिंसों में जनवरी से आ रही तेजी के कारण पाम ऑयल की कीमतों में भी इजाफा हुआ है लेकिन कुछ जिंस विशेष कारक भी कच्चे पाम ऑयल की कीमतों का समर्थन कर रहे हैं। साल 2009 में सीपीओ बाजार तीनों चरणों- तेजी, अनुकूल, और मंदी से गुजरा। साल के अंत में भंडार स्तर बढ़ने, उत्पादन में बढ़ोतरी और अच्छे मौसम से मंदी का चरण देखने को मिला।
पिछले साल की दूसरी छमाही में जब परिस्थितियां वैश्विक आर्थिक संकट से प्रभावित थीं तब मांग से अधिक बढ़ोतरी आपूर्ति में बढ़ोतरी देखी गई। यद्यपि, आर्थिक परिस्थितियां सुस्त रहीं लेकिन मांग में धीरे-धीरे दोबार मजबूती आने से धारणाएं मजबूत हुईं।
इससे स्पष्ट होता है कि यह जिंस भंडार, उत्पादन और पैदावार कम होन के साथ फिर से तेजी के चरण में प्रवेश कर रहा है। मालयेशियाई पाम ऑयल क्षेत्र में कुछ खास चलन देखने को मिले जिससे पता चलता है कि साल 2008 में कीमतें किस प्रकार बढ़ीं।
पाम ऑयल के वैश्विक उत्पादन में मलयोशिया और इंडोनेशिया की हिस्सेदारी लगभग 90 प्रतिशत की है। मलयेशियाई पाम ऑयल बोर्ड के औद्योगिक आंकड़ों के अनुसार सीपीओ बाजार में मंदी आ रही है। (BS Hindi)
23 फ़रवरी 2009
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