नई दिल्ली February 26, 2009
होली पर भी मंदी का रंग सिर चढ़ कर बोल रहा है। रंगों का बाजार फीका नजर आ रहा है। पिछले साल के मुकाबले रंगों के कारोबार में 30 फीसदी की कमी आने का अनुमान है।
बिक्री में कमी को देखते हुए कई कारोबारियों ने रंग के कारोबार से अपना हाथ खींच लिया है। रंगों की कीमत में पिछले साल के मुकाबले कोई गिरावट नहीं है। हालांकि गुलाल के कारोबार में 10 फीसदी तक की ही गिरावट की संभावना बतायी जा रही है।
कारोबारियों ने बताया कि हर साल होली के मौसम में दिल्ली के थोक रंग-रसायन बाजार से 4-5 करोड़ रुपये का रंग व्यापार होता है। लेकिन इस बार जो ग्राहक 100 किलोग्राम रंगों की खरीदारी करता था वह मात्र 55-60 किलोग्राम खरीद रहा है।
हालांकि मार्च के पहले सप्ताह तक यह खरीदारी 70 किलोग्राम तक होने का अनुमान है। दिल्ली के रंग बाजार से मुख्य रूप से हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के आसपास के इलाकों के खरीदार आते हैं।
रंग रसायन बाजार संघ के अध्यक्ष अजय अरोड़ा कहते हैं, 'इस बार तो रंग का कारोबार करने वाले व्यापारियों को घाटा होना निश्चित है। क्योंकि इस साल के स्टॉक को वे अगले साल के लिए नहीं रख सकते हैं। जिन कारोबारियों ने पिछले साल की खपत को देखते हुए स्टॉक किया है वे कम से कम लाभ पर अपना माल निकाल रहे हैं।'
दिल्ली के थोक रंग बाजार में नेचुरल रंग की कीमत 300 रुपये प्रति किलोग्राम है तो बेसिक रंग की बिक्री 200-250 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से हो रही है। दिल्ली के थोक रसायन बाजार में 1500 कारोबारी है और इनमें से 20 फीसदी कारोबारी होली के मौसम में रंगों का कारोबार करते हैं।
कारोबारियों ने बताया कि रंगों की आपूर्ति मुख्य रूप से अहमदाबाद व मुंबई से होती है लिहाजा उन्हें एक माह पहले उसका ऑर्डर देना होता है। अब वे अपने माल को वापस भी नहीं कर सकते हैं।
व्यापारियों ने यह भी बताया कि मंदी के साथ-साथ रंगों से परहेज के कारण इसके कारोबार में हर साल 2 फीसदी की कमी आ रही है। अरोड़ा कहते हैं कि उन्होंने वर्ष 2008 के मुकाबले वर्ष 2007 में अधिक कारोबार किया था। यही वजह है कि गुलाल की बिक्री में मंदी के बावजूद रंगों के मुकाबले कम गिरावट देखी जा रही है।
गुलाल की कीमत भी पिछले साल के स्तर पर कायम है। अच्छे गुलाल की थोक कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम है तो मध्यम व निम्न दर्जे के गुलाल की कीमत 50-20 रुपये प्रति किलोग्राम बतायी जा रही है। रसायन बाजार में जारी गिरावट के कारण रंगों की कीमत में कोई बढ़ोतरी दर्ज नहीं की गयी है। (BS Hindi)
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