मुंबई February 26, 2009
घरेलू बाजार के स्टार्च निर्माताओं को स्टार्च की मांग बढ़ने से काफी राहत मिली है। पिछले एक महीने से घरेलू बाजार में उपभोक्ताओं ने स्टार्च की मांग बढ़ा दी है इसकी वजह से बाजार धारणा में मजबूती आई है।
इस उद्योग के खिलाड़ी मांग के बने रहने के प्रति बेहद आशावान हैं और उनका मानना है कि स्टार्च की कीमतें आगे भी बढ़ सकती हैं। स्टार्च मक्के से बनाया जाता है और इसके उपभोक्ताओं में कपड़ा उद्योग, दवा का क्षेत्र , कागज उद्योग और तरल ग्लूकोज निर्माता भी शामिल हैं।
स्टार्च उद्योग की मांग में पिछले साल गिरावट देखी गई थी। जिसकी वजह से इस उद्योग की जितनी क्षमता है उसके उपयोग में कमी आ गई। इसके अलावा ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य होने से मक्के की कीमतों में मजबूती आ गई और स्टार्च बनाने वालों की दिक्कतें भी बढ़ गईं।
मांग में कमी आने की वजह से स्टार्च की कीमतों में भी कमी आई और 50 किलोग्राम की बोरी 650 रुपये हो गई। मुंबई के सहयाद्री स्टार्च के प्रबंध निदेशक विशाल मजीठिया का कहना है, 'हालांकि अब स्टार्च की एक बोरी की कीमत 750 रुपये प्रति बोरी है। हमें उम्मीद है कि अप्रैल से एक बोरी की कीमत 800 रुपये हो जाएगी।'
प्रतिदिन उद्योगों की कुल मक्के की मड़ाई क्षमता 5,000 टन प्रति दिन है। मांग में बढ़ोतरी होने की वजह से जितनी क्षमता का उपयोग नहीं हो पाया था वह 75 फीसदी तक कम हो गया था अब उसमें सुधार हुआ है और यह इसका उपयोग 90 फीसदी तक हो रहा है।
दिल्ली के भारत स्टार्च इंडस्ट्री के महाप्रबंधक नवीन विज का कहना है, 'फूड इंडस्ट्री और कागज उद्योग में स्टार्च की खूब मांग बढ़ गई है। इसी वजह से उत्तरी भारत के बाजार में स्टार्च की कीमतें एक बोरी पर 100 रुपये और एक टन पर 2000 रुपया बढ़ गया है। वैसे कपड़ा उद्योग अभी थोड़ा मंदा पड़ा है इसी वजह से स्टार्च की उतनी मांग नहीं है।'
विज का कहना है कि आने वाले महीनों में कागज उद्योग के लिए मांग और बढ़ेगी और चुनाव को देखते हुए इस उद्योग में ज्यादा बढ़ोतरी होगी। इससे स्टार्च की कीमतों में बढ़ोतरी तो होगी ही या कीमतें स्थिर रहेंगी।
अखिल भारतीय स्टार्च निर्माता एसोसिएशन के अध्यक्ष अमोल एस. सेठ का कहना है कि मांग में मजबूती का रुख बना रहेगा। ऋद्धि सिद्धि ग्लूको बॉयल्स, गुजरात अंबुजा एक्सपोर्ट, सांघवी फूड्स कुछ बड़ी स्टार्च कंपनियों में शुमार हैं।
स्टार्च बनाने के लिए कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल में आने वाले मक्के की कीमतें 820-840 रुपये प्रति क्विंटल के बीच स्थिर हैं। नेशनल कमोडिटी और डेरिवेटिव एक्सचेंज पर बुधवार को मक्के का एक महीने का अनुबंध 818 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि पहले यह 823 रुपये पर बंद हुआ था।
मंदी में लौटीं खुशियां
प्रति 50 किलो की स्टार्च की बोरी में 100 रुपये का उछाल मांग में स्थिरता बने रहने की उम्मीदस्टार्च की कीमतों में हो सकता है और इजाफापिछले साल थी स्टार्च उद्योग की मांग में गिरावट (BS Hindi)
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