मुंबई February 19, 2009
भारत में अरंडी का उत्पादन इस साल 21 प्रतिशत बढ़ सकता है। अनुमान के मुताबिक इस साल सर्वाधिक 11 लाख टन उत्पादन हो सकता है।
इसके पीछे प्रमुख वजह है कि इस साल मौसम भी अनुकूल रहा और अधिक क्षेत्रफल में बुआई भी हुई है। खरीफ की प्रमुख तिलहन फसलों में शामिल इस फसल के उत्पादन का पिछला रिकॉर्ड 2007-08 में 9.09 लाख टन रहा था।
नील्सन इंडिया द्वारा सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के लिए किए गए हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक इस साल अधिक उत्पादन का अनुमान इस आधार पर लगाया जा रहा है कि अरंडी बीज के उत्पादक क्षेत्रों, खासकर गुजरात में किसान अन्य फसलों को छोड़कर इसकी बुआई की ओर आकर्षित हुए हैं। वहां पर किसानों ने नकदी फसल कपास की ओर से भी मुंह मोड़ा है।
अरंडी के बीज की बुआई के कुल क्षेत्रफल में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह पिछले साल के 7.48 हेक्टेयर से बढ़कर 8.26 लाख हेक्टेयर हो गया है। फसल की उत्पादकता के लिहाज से देखें तो इस साल 9 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की जा रही है।
वर्ष 2007-08 के 131216 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की तुलना में 2008-09 में 1331 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उत्पादन होने का अनुमान है। अगर हम गुजरात की बात करें तो इसके बुआई के क्षेत्रफल में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह अब 3.54 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 4.51 लाख हेक्टेयर हो गया है।
इसी अनुपात में उत्पादन भी बढ़ा है और यह 6.51 लाख टन से बढ़कर 8.27 लाख टन हो गया है। हालांकि यह भी महत्वपूर्ण है कि गुजरात में इसकी उत्पादकता में 0.2 प्रतिशत की कमी आई है और यह पिछले साल के 1838 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की तुलना में 2008-09 में 1834 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रह गया है।
अगर गुजरात में क्षेत्रवार बात करें तो उत्तरी गुजरात में बुआई के क्षेत्रफल में 22 प्रतिशत और सौराष्ट्र में 25 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। कच्छ जिले को छोड़कर अन्य जिलों में इसका उत्पादन पिछले साल की तुलना में बढ़ा है।
इस साल औसत उपज 1838 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही है, जबकि पिछले साल 2007-08 के दौरान औसत उपज 1838 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही थी। इस साल गुजरात के अरंडी उत्पादक इलाकों में औसतन 711 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो पिछले साल के औसत की तुलना में 2 प्रतिशत ज्यादा है।
इस साल बुआई के समय में भी बारिश अनुकूल रही थी। अरंडी बहुत ही संवेदनशील जिंस है, जिसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव ज्यादा होता है। इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव की एक प्रमुख वजह उत्पादकता की कमी है।
साथ ही इसके उत्पादन के क्षेत्रफल, आपूर्ति, मांग का उचित आंकड़ा भी उपलब्ध नहीं होता, जो कारोबारी, किसान, निर्यातक और आयातक करते हैं। राजस्थान में अरंडी की फसल की बुआई का कुल क्षेत्रफल वर्ष 2008-09 में 1.28 लाख हेक्टेयर रहा।
इसमें पिछले साल की तुलना में 8 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। इस साल हनुमानगढ़ और पाली में अरंडी की बुआई के क्षेत्रफल में कमी दर्ज की गई, जबकि बाडमेर, जालौर और सिरोही जिलों में बुआई का क्षेत्रफल बढ़ा है।
राजस्थान में इस तिलहन का कुछ अनुमानित उत्पादन वर्ष 2008-09 में 159 लाख टन होने का अनुमान लगाया जा रहा है। पिछले साल की तुलना में इसमें 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। (BS Hindi)
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