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19 फ़रवरी 2009

निर्यात मांग कमजोर होने से मेंथा तेल में पांच फीसदी की गिरावट

निर्यातकों की मांग कमजोर होने से पिछले दस दिनों में मेंथा तेल की कीमतों में करीब पांच फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। उत्पादक क्षेत्रों में किसानों ने मेंथा की पौध बनाने का काम शुरू कर दिया है। मार्च महीने से मेंथा की नई फसल की रोपाई का काम शुरू हो जाएगा जबकि स्टॉकिस्टों और किसानों के पास बकाया स्टॉक ज्यादा है। इसलिए बिकवाली बढ़ने और निर्यात मांग कमजोर होने से गिरावट को बल मिला है। संभल के मेंथा व्यापारी अनुराग रस्तोगी ने बताया कि स्टॉकिस्टों और किसानों की बिकवाली बढ़ने से पिछले तीन-चार दिनों में संभल, चंदौसी और बाराबंकी में मेंथा तेल की दैनिक आवक बढ़कर 300 से 350 ड्रमों (एक ड्रम 180 किलो) को हो गई। चालू महीने के शुरू में इसकी दैनिक आवक 200 से 250 ड्रमों की हो रही थी। उत्पादक मंडियों में बुधवार को मेंथा तेल के भाव घटकर 555 से 560 रुपये प्रति क्विंटल रह गये। दस फरवरी को इसके भाव 575 से 580 रुपये प्रति किलो थे।उत्तर प्रदेश मेंथा उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष फूल प्रकाश ने बताया कि किसानों ने मेंथा की पौध बनाने का काम शुरू कर दिया है। पिछले वर्ष फसल की आवक के समय 17 जून को मेंथा तेल के भाव उत्पादक मंडियों में 540 रुपये प्रति किलो थे, लेकिन उसके बाद भावों में एकतरफा तेजी देखने को मिली थी। 14 जुलाई को मंडियों में इसके भाव बढ़कर 850 रुपये प्रति किलो हो गए थे। पिछले वर्ष कटाई के समय मौसम खराब होने से तेजी को बल मिला था। चालू सीजन में भी मेंथा की बुवाई पिछले वर्ष के बराबर ही होने की संभावना है लेकिन आर्थिक मंदी के कारण कमजोर निर्यात मांग को देखते हुए पिछले साल जैसी तेजी की उम्मीद नहीं है। उत्पादक मंडियों में मेंथा तेल के भावों में आई गिरावट का असर वायदा बाजार भी देखा गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर फरवरी महीने के वायदा के भाव दस फरवरी को 533 रुपये प्रति किलो थे। बुधवार को फरवरी वायदा में मेंथा तेल के भाव घटकर 504 रुपये प्रति किलो रह गए। इस दौरान इसके भावों में करीब 29 रुपये की गिरावट दर्ज की गई। एसेंशिएल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष जुगल किशोर ने बिजनेस भास्कर को बताया कि अमेरिका, यूरोप और चीन की मांग इन दिनों कमजोर चल रही है। आयातक क्रिस्टल बोल्ड 15 डॉलर प्रति किलो (सीएंडएफ) के भाव पर मांग कर रहे हैं जबकि निर्यातकों को इन भाव में पड़ते नहीं लग रहे हैं। ऐसे में आयातक भाव बढ़ाएं, तभी पड़ते लगने की संभावना है। भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर तक देश से क्रिस्टल बोल्ड का निर्यात घटकर 14,750 टन का ही हुआ है। पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 16,400 टन का हुआ था। (Busienss Bhaskar...R S Rana)

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