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03 फ़रवरी 2009

तट पर होने से ऑस्ट्रेलियाई अयस्क का लाभ उठा सकती है आरआईएनएल

02 03, 2009
राष्ट्रीय इस्पात निगम (आरआईएनएल) के विजाग स्टील प्लांट (वीएसपी) के तट से सटे होने के कारण कच्चे माल के आने और अंतिम उत्पाद को बाहर भेजने का फायदा उसे मिल रहा है।
लौह अयस्क के धनी राज्य भी स्थानीय मूल्यवर्ध्दन के प्रति इतने प्रतिबध्द हैं कि वीएसपी ने खानों से करार करने से मना कर दिया है।
परिणामस्वरूप, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया और टाटा स्टील से अलग आरआईएनएल, जिसे आबध्द खानों से लौह अयस्कों की पूरी आपूर्ति की जाती है, को न केवल खनिज का अधिक बिल देना होता है बल्कि उसे कमोडिटी का जोखिम भी है।
राज्य स्तरीय उग्र राष्ट्रीयता के कारण आरआईएनएल को देश में मौजूद लौह अयस्क के अन्य भंडारों तक पहुंचने की अनुमति नहीं मिलेगी। आर्थिक मंदी की शुरूआत के समय नकदी की कमी से जूझ रही ऑस्ट्रेलिया की छोटी खननन कंपनियों ने जो बड़ी परियोजनाएं शुरू की थीं उसे क्रियान्वित करने के लिए अब उन्हें धन की जरूरत है और आरआईएनएल के लिए यह मौका सीधी खरीदारी से संयुक्त उद्यम तक के लिए दस्तक दे रहा है।
अब, आरआईएनएल और उससे अधिक हमारी सरकार को इस बात पर करना होगा कि हाल के दिनों में चीन ने अपने 5,000 लाख टन से अधिक क्षमता वाले इस्पात उद्योग के लिए ऑस्ट्रेलियाई खनन क्षेत्र से दीर्घावधि के लिए करार करने पर ध्यान देना शुरू कर दिया है।
इससे पहले चीन ने बुनियादी ढांचा निर्माण और आसान सहायता के बदले अफ्रीकी देशों में लौह अयस्क, कोयले और तांबे के एक बड़े हिस्से का अधिग्रहण किया था। वास्तव में, अफ्रीका में चीन की सफलता पश्चिमी देशों के चिंता का एक कारण है।
चीन ने अफ्रीका के सबसे अधिक उपद्रवग्रस्त क्षेत्रों के कुछ हिस्से में भी अपना कारोबार बढ़ाया है। लौह अयस्क एक शुष्क बल्क कमोडिटी है और लागत निर्धारण में लंबी दूरी तक इसके ढुलाई प्रभार की भूमिका महत्वपूर्ण है।
तट पर होने और गंगावरम बंदरगाह का अतिरिक्त लाभ मिलने से आरआईएनएल अगर ऑस्ट्रेलियाई अयस्क का इस्तेमाल शुरू करता है तो इसे माल ढुलाई के साथ-साथ लागत कम करने का फायदा भी शायद मिलेगा। अभी तक आरआईएनएल के अयस्क संबंधी जरूरतों की पूर्ति एनएमडीसी के छत्तीसगढ़ स्थित खानों से की जाती है।
इस्पात बनाने की लागत में लौह अयस्क की हिस्सेदारी अहम है। राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड के अध्यक्ष पी के बिश्नोई ने हमें बताया कि अगर कंपनी को संयंत्र की जगह से 50 किलोमीटर दूर प्रतिपूरक संयंत्र लगाने की अनुमति मिल जाती है तो इस्पात निर्माण की क्षमता वर्तमान 36 लाख टन से बढ़ कर 200 लाख टन हो जाएगी। कंपनी के पास 20,000 एकड़ का क्षेत्र है।
लेकिन, विस्तार के पहले चरण में आरआईएनएल अपनी क्षमता 68 लाख टन करने की दिशा में चल रही है। बिश्नोई लौह अयस्क की कीमत की अस्थिरता से कंपनी को अप्रभावित रखना चाहते हैं। यहां खनिज संपत्ति के अधिग्रहण की असफलता के बाद बिश्नोई ने एनएमडीसी से समझौता किया। कई मायनों में बेहतर होने के बावजूद यह कोई नई शुरुआत नहीं है।
इसलिए, बिश्नोई ने ऑस्ट्रेलिया से लौह अयस्क मंगाने का एक विकल्प छोड़ रखा है जहां से कम लागत पर गंगावरम बंदरगाह तक इसे लाया जा सकता है। गंगावरम बंदरगाह पर बहुत बड़े वेसेल भी आ सकते हैं। कोल वेंचर्स इंटरनेशनल की तरफ से, सार्वजनिक क्षेत्र की पांच कंपनियों की एसपीवी, जिसमें आरआईएनएल भी शामिल है, बिश्नोई कोकिंग कोल परिसंपत्तियों के लिए प्रयासरत हैं। उनके पास ऑस्ट्रेलिया के लौह अयस्क के बारे में विचार करने का अवसर है।
अगर, बिश्नोई और दूसरे भारतीय इस्पात समूह ऑस्ट्रेलियाई लौह अयस्क क्षेत्र में चयन का रुख अपनाने का निर्णय लेते हैं तो उन्हें याद रखना होगा कि चीन वहां पहले से ही व्हाइट नाइट (दूसरी कंपनी द्वारा अधिग्रहण से पहले ही किसी कंपनी को इससे रोकने के लिए पैसे दे देना) की भूमिका निभा रहा है। ऑस्ट्रेलियाई लौह अयस्क क्षेत्र की कंपनियां नई खनन परियोजनाओं के लिए नकदी की कमी से जूझ रही है।
हालांकि, इसे अन्यथा नही लिया जा सकता। जुलाई 2008 के अंत तक खनन कंपनियां इस्पात निर्माताओं को उकसा रही थी ताकि संभावित बोली लगाने वाले से वे अच्छी कीमत मांग सकें। लेकिन संसाधन कंपनियों में दिलचस्पी दिखाए जाने के बावजूद, खास तौर से चीनी समूह द्वारा, ऑस्ट्रेलियाई विदेशी निवेश बोर्ड प्रस्तावों पर अनिश्चित काल तक विचार नहीं करेगी। आवेदकों को यह समझाया गया है कि अधिग्रहण और संयुक्त उद्यम के सभी प्रस्ताव ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रहित में होने आवश्यक हैं।
पीआईबी ज्यादा समय तक बहुत अधिक चयनोन्मुख रुख अख्तियार नहीं कर सकता, खास तौर से तब जब ऑस्ट्रेलियाई खनन समूह बुरी तरह से कोष की तलाश कर रहा है और चीन व्हाइट नाइट की भूमिका निभा रहा है। एनस्टील का शेयर चीन को देने से ऑस्ट्रेलिया की गिंदालबी मेटल्स को 1,070 लाख डॉलर मिलेंगे। इस सौदे से गिंदालबी को चाइना डेवलपमेंट बैंक से 1.2 अरब तक उधार लेने की सुविधा मिल जाएगी जिससे वह पश्चिम ऑस्ट्रेलिया में लौह अयस्क परियोजना को क्रियान्वित कर सकेगा। (BS Hindi)

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