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17 फ़रवरी 2009

चीनी के लिए फिलहाल स्टॉक सीमा तय नहीं करेगी सरकार

नई दिल्ली: सरकार ने सोमवार को कहा कि ट्रेडरों के पास चीनी के स्टॉक की सीमा तय करने का उसका कोई इरादा नहीं है जबकि इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि कालाबाजारी और कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार स्टॉक की सीमा तय कर सकती है। कृषि और खाद्य मंत्री शरद पवार ने कहा, 'अभी चीनी के लिए स्टॉक सीमा तय करने का कोई इरादा नहीं है।' भारत में इस सीजन में चीनी की कीमतों में नाटकीय रूप से बढ़ोतरी हुई है। चीनी का सीजन अक्टूबर से शुरू होता है। इस सीजन के लिए अनुमान लगाया गया है कि उत्पादन 32 फीसदी गिरकर 1.8 करोड़ टन रह सकता है। कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे इसे प्रमुख वजह माना जा रहा है। हालांकि चीनी की कमी होने की आशंका को देखते हुए सरकार ने मिलों को ड्यूटी फ्री चीनी आयात करने और उन्हें घरेलू बाजार में बेचने की इजाजत दे दी है। भारत, ब्राजील के बाद चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इस साल आम चुनाव को देखते हुए टेडरों को लग रहा था कि चीनी के लिए स्टॉक की सीमा तय हो सकती है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 13 फरवरी को कुछ प्रमुख शहरों में चीनी की कीमत बढ़कर 25 रुपए प्रति किलो हो गई जबकि 2008-09 सीजन की शुरुआत में चीनी की कीमत 20 रुपए प्रति किलो चल रही थी। कृषि विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर की कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा, 'क्रॉप हसबेंडरी, लाइवस्टॉक, हॉर्टिकल्चर, वेजिटेबल, पिगरी, फिशरी, एपीकल्चर, मशरूम, सेरीकल्चर में इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम अपनाने की जरूरत है।' मंत्रालय ने देश में पैदावार बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की। 1950-51 से अब तक अनाज उत्पादन में चार गुना की बढ़ोतरी हुई है, हॉर्टिल्चर में भी उत्पादन छह गुना बढ़ा है, मछलियों के उत्पादन में नौ गुना की बढ़ोतरी हुई है, दूध उत्पादन छह गुना बढ़ा है तो अंडों के उत्पादन में 27 गुना की वृद्धि हुई है। पवार ने सेक्टर में विकास को बरकरार रखने के लिए गुणवत्ता वाले मानव संसाधन को तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश की 52 फीसदी जनता सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर है। (ET Hindi)

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