चालू रबी सीजन में देश में मसूर के उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद है। लेकिन दलहन निर्यात पर रोक लगी होने के कारण नई आवक शुरू होते ही भावों में गिरावट शुरू हो गई है। हालांकि अभी उत्पादक मंडियों में मसूर की आवक सीमित मात्रा में ही है। पिछले पंद्रह-बीस दिनों में मसूर के भावों में करीब 500 से 800 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। प्रमुख उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मंडियों में मार्च में आवक का दबाव बढ़नेपर मार्च-अप्रैल तक मौजूदा भावों में और भी 500 से 600 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ सकती है।
बहराइच स्थित मैसर्स साकेत फूडस लिमिटेड के अतुल अग्रवाल ने बिजनेस भास्कर को बताया कि चालू रबी सीजन में मसूर के उत्पादन में पिछले वर्ष के मुकाबले 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी होने की संभावना है। पिछले वर्ष देश में मसूर का उत्पादन घटकर मात्र आठ लाख टन का ही था। जबकि चालू सीजन में दस लाख टन से ज्यादा उत्पादन होने की उम्मीद है। पिछले वर्ष उत्पादन में आई गिरावट से मसूर के भावों में भारी तेजी बन गई थी इसलिए ऊंचे भावों को देखते हुए किसानों ने मसूर की बुवाई ज्यादा की।
उत्तर प्रदेश के झांसी, ललितपुर व कानपुर तथा मध्य प्रदेश की सतना और कटनी की मंडियों में नई मसूर की आवक शुरू हो गई है। कानपुर में 2000 बोरी और बरेली में 2500 बोरी की आवक हो रही है तथा इन मंडियों में भाव घटकर क्रमश: 3650-3700 रुपये हैं। इंदौर मंडी में भाव 3500 रुपये प्रति क्विंटल तथा आवक करीब 1500 बोरी की हो रही है। 15 जनवरी को कानपुर और बरेली में भाव क्रमश: 4380 और 4500 रुपये प्रति क्विंटल थे जबकि इंदौर में इसके भाव 4225 रुपये प्रति क्विंटल थे।
दलहन व्यापारी शिव कुमार मिश्रा ने बताया कि भारत से बंगलादेश, श्रीलंका और दुबई को हर साल करीब दो लाख टन मसूर का निर्यात होता है। लेकिन निर्यात पर रोक लगी होने के कारण चालू वर्ष में निर्यात नहीं हो पाएगा। ऐसे में भाव और नीचे आ सकते हैं। हालांकि उनका मानना है कि चालू वर्ष में भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर ही रहेंगे। चालू वर्ष में केंद्र सरकार ने मसूर के एमएसपी में 170 रुपये की बढ़ोतरी कर 1870 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
दलहन आयातक संतोष उपाध्याय ने बताया कि सरकारी एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष में अभी तक 15,000 टन मसूर के आस्ट्रेलिया और कनाडा से 821 से 1065 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) में आयात सौदे किए हैं। नई फसल की पैदावार में बढ़ोतरी को देखते हुए एजेंसियां अब नए सौदे नहीं कर रहे हैं। (Business Bhaskar....R S Rana)
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