04 फ़रवरी 2009
कम सर्दी से सरसों की पैदावार, तेल की मात्रा पर असर संभव
बुवाई क्षेत्रफल में सरसों की पैदावार बढ़ने की संभावना अप्रत्याशित रूप से ऊंचे तापमान के कारण फीका पड़ गई है। ऐसे में वर्ष 2008-09 में सरसों की पैदावार घटने के साथ तेल की मात्रा में भी कमी आने का अंदेशा है। केंद्र सरकार ने 76 लाख टन सरसों पैदावार का अनुमान लगाया था। उत्पादक क्षेत्रों में जनवरी महीने में अपेक्षित सर्दी न पड़ने से सरसों के दानों का विकास धीमा है। इसलिए सरसों में तेल की मात्रा में करीब दो फीसदी की कमी आने की आशंका है। नई फसल की आवक भी निर्धारित समय से लगभग एक सप्ताह पहले शुरू हो गई है।राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर डॉ. अरविंद कुमार ने बिजनेस भास्कर को बताया कि जनवरी महीने में सरसों के उत्पादक क्षेत्रों में अपेक्षित सर्दी नहीं पड़ी है। जिससे सरसों पौधे की फलियों में दाने का विकास धीमा रहा। ऐसे में सरसों में तेल की मात्रा लगभग दो फीसदी तक कम बैठ सकती है। पिछले वर्ष जनवरी-फरवरी महीने में अच्छी सर्दी पड़ी थी। इसलिए सरसों में तेल की मात्रा अच्छी बैठी थी। हालांकि उन्होंने माना कि चालू सीजन में फसल में अभी तक किसी तरह की बीमारी के लक्षण देखने को नहीं मिलें है तथा बुवाई क्षेत्रफल में पिछले वर्ष के मुकाबले करीब साढ़े सात लाख हैक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। अत: चालू रबी सीजन में देश में सरसों की पैदावार 70 लाख टन होने की संभावना है।कृषि मंत्रालय द्वारा जारी बुवाई आंकड़ों के अनुसार चालू रबी सीजन में देश में सरसों की बुवाई 66.46 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में सरसों की बुवाई 58.80 लाख हैक्टेयर में हुई थी। पिछले वर्ष देश में सरसों का 58 लाख टन का उत्पादन हुआ था जबकि चालू वर्ष में केंद्र सरकार ने उत्पादन का लक्ष्य 76 लाख टन रखा है। केंद्र सरकार ने हाल ही में सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में मात्र 30 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1830 रुपये प्रति क्विंटल तय किए हैं। पिछले वर्ष देश में सरसों के उत्पादन में भारी कमी आई थी जिससे पूरे सीजन में उत्पादक मंडियों में भाव तेज ही बने रहे।सरसों व्यापारी निरंजन लाल ने बताया कि राजस्थान की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर करीब 28-30 हजार बोरियों की हो गई है। नई सरसों एमएसपी से नीचेजयपुर। राजस्थान की मंडियों में सरसों ेके भाव पिछले छह दिनों में तेजी से गिरे। हालत यह है कि नमी और तेल की मात्रा के नाम पर भाव में व्यापारियों द्वारा कटौती किए जाने से किसान नई सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य (1830 रुपये प्रति क्विंटल) से भी नीचे बेचने को मजबूर हैं। पिछले वर्ष भावों में रिकॉर्ड तेजी को देखते हुए किसानों ने सरसों की जमकर बुवाई की थी। नई फसल की आवक बढ़ने से पिछले छह दिन के दौरान राज्य की मंडियों में 42 प्रतिशत कंडीशन सरसों के भाव करीब नौ फीसदी उतरकर 2340 से 2420 रुपए क्विंटल रह गए हैं। लेकिन नई सरसों गीली होने के कारण थोक व्यापारी इन भावों में 15 फीसदी गीलेपन की और तेल रिकवरी कम बैठने की एवज में लगभग 15 फीसदी की कटौती कर रहे हैं। किसान को सही मायने में नई सरसों के भाव 1800 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास भाव मिल रहे हैं। पांच-सात दिन बाद सभी मंडियों में नई सरसों की आवक की उम्मीद को देखते हुए भावों में और गिरावट की संभावना बरकरार है। जयपुर के थोक व्यापारी अनिल चतर ने बताया कि राज्य की मंडियों में मंगलवार को करीब 35 हजार बोरी सरसों की आवक होने का अनुमान है। राज्य की चितौड़गढ़, निंबाहेड़ा, प्रतापगढ, छोटी सादड़ी, रामगंजमंडी, अलवर, मंडावर, हिंडोन, कोटा, बारां और सुमेरपुर समेत कई मंडियों में नई सरसों की आवक लगातार बढ़ रही है। जयपुर व भरतपुर समेत कुछ मंडियों में नई सरसों की आवक अभी पांच-सात दिन बाद शुरू होने की संभावना है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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