कुल पेज दृश्य

04 फ़रवरी 2009

ग्वारगम का निर्यात घटने की आशंका

चालू वर्ष की पहली तिमाही में देश से ग्वार गम के निर्यात में कमी आने के आशंका हैं। कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट से अमेरिका और यूरोप के साथ चीन की ग्वार गम में मांग कमजोर बनी हुई है। लेकिन चूंकि उत्पादक मंडियों में ग्वार की दैनिक आवक घट गई हैं। ऐसे में ग्वार की मौजूदा कीमतों में भारी गिरावट के आसार नहीं है।भारतीय ग्वार गम मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जीवन गांधी ने बताया कि चालू वर्ष की पहली तिमाही जनवरी से मार्च तक ग्वार गम का निर्यात 60 हजार टन के लक्ष्य से कम रहने का अनुमान है। पिछले वर्ष के नवंबर से दिसंबर तक देश से ग्वार गम का निर्यात 75 हजार टन रहा था जबकि लगभग 15 हजार टन ग्वार गम की घरेलू खपत रही। इस तरह कुल खपत 90 हजार टन की खपत हुई थी। मार्च के बाद आमतौर पर ग्वार गम की निर्यात मांग कम रहती है। पिछले वर्ष देश से ग्वार गम का कुल निर्यात 2.10 लाख टन का हुआ था। लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट से नए कुओं की खुदाई में कमी आने से ग्वार गम के निर्यात में कमी आने की आशंका है। इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में ग्वार गम के भाव 700 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) चल रहे हैं लेकिन अमेरिका, यूरोप और चीन के आयातक नये सौदे करने से परहेज कर रहे हैं। पिछले वर्ष जून-जुलाई में ग्वार गम के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1000 डॉलर प्रति टन थे। जबकि उस समय भारतीय बाजार में ग्वार गम के भाव 4700-4800 रुपए प्रति क्विंटल थे। चालू वर्ष में ग्वार का उत्पादन 80-85 लाख बोरी और बकाया स्टॉक 35 लाख बोरी मिलाकर उपल्बधता 1.15-1.20 लाख बोरी है। ग्वार व्यापारी साजन गोयल ने बताया कि मंडियों में ग्वार की दैनिक आवक घटकर मात्र 18 -20 हजार बोरियों की रह गई है। जबकि इस समय ग्वार चूरी और कोरमा में अच्छी मांग है। चूरी के भावों में पिछले एक सप्ताह में 40 रुपये की तेजी आकर भाव 750 रुपये और कोरमा के भाव बढ़कर 660 रुपये प्रति 75 किलो हो गए। हरियाणा की मंडियों में ग्वार के भाव 1550 रुपये और राजस्थान की मंडियों में 1520 से 1530 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। (Business Bhaskar...R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: