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17 फ़रवरी 2009

गन्ने की कमी से समय से पहले बंद हो रही हैं मिलें

मुंबई February 15, 2009
देश में चीनी उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य महाराष्ट्र में इस बार गन्ने की पैदावार कम होने की वजह से अब तक 31 चीनी मिलों में काम काज ठप पड़ चुका है। उत्तर प्रदेश में भी चीनी मिलों की यही हालत है।
गन्ने की कमी को देखते हुए इस साल राज्य में चीनी का उत्पादन 17 फीसदी से भी ज्यादा कम होने की बात कही जा रही है। राज्य में अब तक केवल 38.35 लाख टन चीनी का उत्पादन हो सका है जबकि पिछले साल इस समय तक 46.55 लाख टन चीनी का उत्पादन हो गया था।
इस उद्योग से जुड़े एक विश्लेषक ने कहा, 'उत्तर प्रदेश की 150 चीनी मिलों में से करीब 45 मिलें गन्ने की कमी की वजह से पिछले सप्ताह बंद हो गई हैं। महाराष्ट्र में भी यही हाल है और 165 मिलों में से 50 से अधिक बंद हो गई हैं, जिसमें निजी, सरकारी और सहकारी चीनी मिलें शामिल हैं।'
महाराष्ट्र राज्य सहकारी साखर कारखाना संघ लिमिटेड के अध्यक्ष प्रकाश नैकनवारे के अनुसार राज्य की 145 मिलों में अब तक 343.06 लाख टन गन्ने की पेराई की जा सकी है, जबकि पिछले साल अभी तक 399.50 लाख टन गन्ने की पेराई की गई थी।
उनके अनुसार राज्य के करीबन 75-80 फीसदी कारखानों में गन्ना की पेराई का काम पूरा हो चुका है। मिलों में जो थोड़ा काम बचा भी है वह अप्रैल मध्य तक खत्म हो जाएगा। यानी 15 अप्रैल तक राज्य में गन्ने की पेराई का काम पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा, जबकि पिछले साल महाराष्ट्र में गन्ने की पेराई का काम जून के पहले सप्ताह तक चला था।
संघ से प्राप्त आंकड़े के अनुसार पिछले साल 731 लाख टन गन्ने की पेराई हुई थी और कुल 91 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था, जबकि इस वर्ष कुल 465 लाख गन्ने की पेराई होने की उम्मीद है और चीनी का कुल उत्पादन 50 से 52 लाख टन होने की उम्मीद की जा रही है।
राज्य में सबसे कम गन्ने का उत्पादन 2003 में हुआ था उस वर्ष राज्य में मात्र 22 लाख टन ही चीनी का उत्पादन हो सका था। गन्ना की पैदावार कम होने और चीनी उत्पादन में कमी के साथ ही साथ इस वर्ष गन्ने के औसत रिकवरी में भी 0.51 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
पिछले साल गन्ने की औसत रिकवरी दर 11.69 फीसदी थी जो इस वर्ष 11.18 फीसदी ही रही। उत्तर प्रदेश में तो पहली बार ऐसा हुआ है कि गेहूं और धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य अधिक होने के चलते किसानों का गन्ने से मोहभंग हो गया और वे गेहूं और धान की फसलों की ओर आकर्षित हुए हैं।
महाराष्ट्र में गन्ने की पैदावार कम होने की वजह से कुल 193 चीनी मिलों में से सिर्फ 171 चीनी मिलों ने इस सीजन में गन्ना की खरीददारी की थी। पर्याप्त गन्ना न मिल पाने की वजह से इनमें से मात्र 145 चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई का काम शुरू किया था।
जिन मिलों में गन्ना पेराई का काम शुरू किया गया उनमें भी पर्यात गन्ना न होने की वजह से ज्यादात्तर पूरे सीजन पेराई का काम नहीं कर पाई और अभी तक उनमें से 31 चीनी मिलों में पूरी तरह से काम ठप्पा हो चुका है।
चीनी उत्पादन के प्रमुख राज्य महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन कम होने की वजह से इस बार चीनी फीकी लग सकती है। इस पर प्रकाश नैकनवारे कहते हैं कि चीनी के दाम में इस बार कम से कम 25-30 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हो सकती थी लेकिन चुनावी साल होने की वजह से सरकार ऐसा नहीं करने देगी। (BS Hindi)

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