17 फ़रवरी 2009
प्रणब की बेरुखी से बाजार धराशायी
अंतरिम बजट में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की बेरुखी से सोमवार को शेयर बाजार जमकर गिरा। खासकर बैंकों, रियल्टी और ऑटोमोबाइल कंपनियों के शेयर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। सोमवार को बांबे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 329.29 अंक गिरकर 9305.45 अंकों पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी सूचकांक 99.85 अंक गिरकर 2848.50 अंकों पर बंद हुआ। यही नहीं, बजट में कोई खास प्रोत्साहन न दिए जाने से तेज हुई बिकवाली के चलते निवेशकों को एक ही दिन में तकरीबन एक लाख करोड़ (ट्रिलियन) रुपये की जबरदस्त चपत लग गई। दरअसल, बीएसई में सूचीबद्ध सभी कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण बजट वाले दिन लगभग 91,000 करोड़ लुढ़क कर 29,79,509.44 करोड़ रह गया।बीते शुक्रवार को बढ़त दर्शाने वाले शेयर बाजार ने सोमवार को वित्त मंत्री के भाषण को सकारात्मक ढंग से नहीं लिया। दरअसल, अंतरिम बजट भाषण शुरू होने से पहले ही बाजार गिरने लगा था। कारोबार के पहले ही घंटे में इसका असर दिखा। 9 बजकर 58 मिनट पर सेंसेक्स 51 अंक गिरा। साढ़े दस बजे तक उसमें 95 अंकों से ज्यादा की गिरावट आ चुकी थी। फिर बजट भाषण खत्म होने के बाद ढाई बजे तक बाजार 324 अंक लुढ़क गया। बाजार में सुबह से ही शुरू हुई गिरावट आखिर तक चलती रही।जैसे-जैसे प्रणब मुखर्जी का भाषण आगे बढ़ता गया, वैसे-वैसे शेयर बाजार गिरता चला गया। बाजार में चौतरफा बिकवाली का माहौल रहा। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एक्सिस बैंक, फे डरल बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक सहित सभी बैंकों के शेयर गिर गए। इसी तरह इंडिया बुल्स, ऑरबिट कॉरपोरशन, अंसल प्रॉपर्टी, यूनिटेक, महिंद्रा लाइफस्पेस, डीएलफ और शोभा डेवलपर्स सहित तकरीबन सभी रीयल एस्टेट कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई है।जिन उद्योग क्षेत्रों के शेयर सोमवार को गिर गए उनको बजट से काफी राहत की उम्मीद थी। ऑटो सेक्टर आर्थिक संकट से गुजर रहा है, तो रियल्टी सेक्टर लगातार पैकेज की मांग कर रहा है। हालांकि, बैंकों के शेयरों का गिरना बैंकरों को भी समझ में नहीं आ रहा है। यूनियन बैंक के कार्यकारी निदेशक टीवाई प्रभु का कहना है कि बैंकरों को इस अंतरिम बजट से कोई उम्मीद नहीं थी, फिर भी शेयर क्यों गिर गए, यह समझ से परे है। वैसे, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार अगर चाहती तो कुछ घोषणाएं कर सकती थी। (Business Bhaskar)
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