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17 फ़रवरी 2009

सीटीटी का मसला अब भी अधर में

कमोडिटी एक्सचेंजों में कारोबार पर कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) पर नया अंतरिम बजट कोई स्पष्ट दिशा देने में विफल रहा। भले ही सीटीटी लागू न हो पाया हो लेकिन इसे हटाए जाने की कारोबारियों की उम्मीद बजट में पूरी नहीं हो पाई।पिछले साल बजट के समय तत्कालीन वित्त मंत्री और मौजूदा गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने बजट 2008-09 का बजट पेश करते हुए सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) की तर्ज पर सीटीटी लगाने की घोषणा की थी। चिदंबरम ने कहा था कि यह संसद द्वारा पारित किए वित्त विधेयक का हिस्सा है। लेकिन कमोडिटी एक्सचेंजों और ब्रोकरों के विरोध के चलते इस पर अमल टाल दिया गया। अंतरिम बजट 2009-10 में सीटीटी पर कोई उल्लेख नहीं किया गया। सीटीटी के लागू होने के बाद कमोडिटी के फ्यूचर और ऑप्शन में एक लाख रुपये के कारोबार पर 17 रुपये टैक्स लागू होना था। सीटीटी को एक अप्रैल 2008 से लागू किया जाना था लेकिन कमोडिटी ब्रोकरों और एक्सचेंजों के विरोध के कारण यह मामला बार-बार लटकता रहा और अंतरिम बजट में भी इस पर भी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार ने एक्सचेंजों में जिंसो के बढ़ते कारोबार को देखते हुए सीटीटी लगाया था। सीटीटी के लागू होने से एक्सचेंजों में जिंसों का कारोबार घट जाएगा। साथ निवेशक ों की भागीदारी भी कम होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि सीटीटी की व्यवस्था ताइवान को छोड़कर अन्य किसी देश में लागू नहीं है। एनडीए इंडिया लिमिटेड के कमोडिटी हैड सीटीटी जेनेश्वर भारद्वाज ने इस बात पर संतोष जाहिर किया कि मौजूदा अंतरिम बजट में सीटीटी लगाने का आदेश नहीं दिया गया है। कमोडिटी में अभी सिक्योरिटी मार्केट इतना परिपक्व नहीं आई है कि सीटीटी लगाया जा सके। दूसरी ओर चंडीगढ़ की कमोडिट ब्रोकिंग फर्म विक्सन कमोडिटी के निदेशक वी. कुमार ने बताया कि कमोडिटी में वायदा कारोबार इस समय मुश्किल दौर से गुजर रहा है। ऐसे में सीटीटी न लगाने का सरकार का फैसला कमोडिटी वायदा कारोबार के हित में है। (Business Bhaskar)

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