कुल पेज दृश्य

14 फ़रवरी 2009

टोकम रबर वायदा में बढ़त, घरेलू बाजार में गिरावट

चीन में मांग बढ़ने की संभावना से टोक्यो कमोडिटी एक्सचेंज में रबर वायदा में तेजी देखी गई है। हालांकि इस तेजी का असर भारत में रबर की कीमतों पर नहीं पड़ा। एनएमसीई पर अप्रैल महीने के वायदा में 44 रुपये की गिरावट दर्ज की गई। पिछले आठ दिनों के दौरान टोकम रबर वायदा में करीब सात गुना तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। जानकारों के मुताबिक चीन में प्रकृतिक रबर की मांग बढ़ने की संभावना से कारोबार में मजबूती आई है। दरअसल चीन सरकार उद्योगों को कच्चा औद्योगिक माल खरीदने के लिए आर्थिक पैकेज देने पर विचार कर रही है। ब्लूमबर्ग के एक आंकलन के मुताबिक चीन सरकार आने वाले दिनों में रोड और हाउस सेक्टर पर करीब चार खबर युआन खर्च करेगी। वैसे भी जनवरी के दौरान रिकार्ड लोन मिलने से उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता में इजाफा होने की संभावना है। ऐसे में रबर जैसे कच्चे माल की मांग में भी बढ़त होने की उम्मीद है। जनवरी के दौरान चीन के रबर आयात में करीब 65 फीसदी की गिरावट रही। टोक्यो कमोडिटी एक्सचेंज में रबर जुलाई वायदा करीब दो फीसदी की बढ़त के साथ 143.6 येन प्रति किलो पर कारोबार करते देखा गया। हालांकि टोकम रबर वायदा में तेजी के बावजूद घरलू बाजार में रबर की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ा है। नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में रबर अप्रैल वायदा करीब 44 रुपये की गिरावट के साथ 7007 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार करता देखा गया। वैव्श्रिक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट की वजह से रबर का घरलू कारोबार प्रभावित हुआ है। न्यूयार्क मर्केटाईल एक्सचेंज में कच्चा तेल करीब साढ़े पांच फीसदी की गिरावट के साथ 33.70 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार करता देखा गया। कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट की वजह से सिंथेटिक रबर की उत्पादन लागत में मी आई है। इस वजह से प्रकृतिक रबर की मांग में कमी आसई है। वहीं टायर कंपनियों और दूसर क्षेत्रों की मांग में आई कमी की वजह से भी रबर की कीमतों में काफी गिरावअ आ चुकी है। पिछले छह महीनों से भारत समेत पूरी दुनिया में ऑटो सेक्टर में मांग घटी है। इस वजह से टायर कंपनियों की रबर क मांग में भी गिरावट का रुख रहा है। जिसका असर घरलू और वैव्श्रिक बाजारों में प्राकृतिक रबर की कीमतों पर पड़ा है। (Business Bhaskar)

कोई टिप्पणी नहीं: