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04 फ़रवरी 2015

मौजूदा भाव में हल्दी का स्टॉक फायदे का सौदा नहीं


आर एस राणा
नई दिल्ली। आंध्रप्रदेष में नई हल्दी की आवक षुरू हो गई है तथा अन्य उत्पादक मंडियों में भी नई फसल की आवक जल्द षुरू हो जायेगी। चालू सीजन में हल्दी की पैदावार पिछले साल से कम होने का अनुमान है लेकिन बकाया स्टॉक को देखते हुए कुल उपलब्धता सालाना खपत से ज्यादा ही होगी। ऐसे में मौजूदा कीमतों में 1,200 से 1,500 रूपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने के बाद ही हल्दी का स्टॉक करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है।
ज्योति ट्ेडिंग कंपनी के प्रबंधक एस सी गुप्ता ने बताया कि चालू सीजन में हल्दी की पैदावार घटकर 50 लाख बोरी (एक बोरी-70 किलो) ही होने का अनुमान है लेकिन बकाया स्टॉक करीब 40 से 45 लाख बोरी का बचा हुआ है। ऐसे में चालू सीजन में हल्दी की कुल उपलब्धता करीब 90 से 95 लाख बोरी की बैठेगी। हल्दी की सालाना खपत (घरेलू और निर्यात को मिलाकर) कुल 60 से 65 लाख बोरी की होती है। ऐसे में मौजूदा कीमतों पर हल्दी का स्टॉक फायदेमंद साबित नहीं होगा।
हल्दी के थोक कारोबारी पूनमचंद गुप्ता ने बताया कि निजामाबाद मंडी में हल्दी की दैनिक आवक 7,000-8,000 बोरी की षुरू हो गई है तथा भाव 6,500 से 7,000 रूपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। उधर इरोड़ मंडी में हल्दी के भाव 6,800 से 8,000 रूपये प्रति क्विंटल है। उन्होंने बताया कि हल्दी में स्टॉकिस्टों की सक्रियता से भाव में 500 से 700 रूपये प्रति क्विंटल की तेजी आ सकती है लेकिन अप्रैल के बाद कीमतों में मंदा आयेगा। चालू सीजन में फसल जरूर कम है लेकिन बकाया स्टॉक को मिलाकर कुल उपलब्धता ज्यादा ही है।
टरमरिक मर्चेंट एससोसिएषन के सचिव के वी रवि ने बताया कि चालू महीने के आखिर तक हल्दी की आवक बढ़ जायेगी, तथा मार्च में आवक का दबाव बन जायेगा। हल्दी में निर्यात मांग तो अच्छी है लेकिन उत्पादक मंडियों में बकाया स्टॉक ज्यादा होने से घरेलू मांग कम रहेगी।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित वर्श 2014-15 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान हल्दी के निर्यात में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 43,000 टन का हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक 39,200 टन का निर्यात हुआ था। विष्व बाजार में हल्दी के दाम 3.53 डॉलर प्रति किलो हैं जबकि पिछले साल इस समय भाव 3.64 डॉलर प्रति किलो थे। मसाला बोर्ड ने चालू वित वर्श में 80,000 टन निर्यात का लक्ष्य तय किया है। निर्यातकों का मानना है कि निर्यात तय लक्ष्य से ज्यादा ही होगा।.........आर एस राणा

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