विदेशी मांग में इजाफा होने और रकबे में गिरावट के अनुमान के बीच जीरा और हल्दी नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में अपर सर्किट के स्तर तक पहुंच गए। मार्च में डिलिवरी वाले जीरे में करीब 4 फीसदी की तेजी दर्ज की गई और इसकी कीमत चढ़कर 14,795 रुपये के स्तर तक पहुंच गई, अन्य महीनों के करारों में लगभग इतनी ही तेजी देखने को मिली। अप्रैल में डिलिवरी योग्य हल्दी में भी 4 फीसदी की तेजी दर्ज की गई और इसकी कीमत 8,322 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गईं।
ठीक इसी तरह अन्य महीनों के करारों में तेजी देखने को मिली। केडिया कमोडिटी कॉमटे्रड के प्रबंध निदेशक अजय केडिया ने कहा, 'इस साल भारत में कम उत्पादन की आशंकाओं के बीच जीरा और हल्दी दोनों पिछले कई महीनों से तेज बने हुए हैं। किसानों ने धनिया बोना शुरू कर दिया जिससे पिछले दो सालों के दौरान उन्हें करीब 40 फीसदी का प्रतिफल मिला है।' जबकि निर्यात मांग में कोई कमी नहीं आई। हालांकि निर्यात को और बढ़ावा देने के लिए इंडियन मर्चेंट्स चैंबर, नवी मुंबई के चेयरमैन आर के जैन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल श्रीलंका की यात्रा पर गए थे। इंडियन मर्चेंट्स चैंबर, नवी मुंबई के सहायक चेयरमैन योगेश मेहता ने कहा, 'फिलहाल भारत को श्रीलंका में मसालों का निर्यात करने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि श्रीलंका ने इस मामले में पाकिस्तान और चीन को तरजीह दे रखी है। हमें उम्मीद है कि हमारी यात्रा से बेहतर परिणाम सामने आएंगे और श्रीलंका के लिए मसालों का निर्यात बढ़ेगा।' कारोबारी सूत्रों का अनुमान है कि गुजरात और राजस्थान जैसे दो बड़े उत्पादक राज्यों में इस रबी सीजन के दौरान जीरे के रकबे में करीब 29 फीसदी की गिरावट आ सकती है। इस साल जीरे का रकबा 6,03,000 हेक्टेयर रहने का अनुमान है।
इसके अलावा जनवरी में मॉनसून के चलते तैयार फसल को भी नुकसान हुआ है। देरी से आए मॉनसून के चलते मिट्टी में नमी की कमी रही जिसके कारण हल्दी के रकबे में भी इस साल 10 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है। इसके अलावा अक्टूबर, 2014 में आंध्र प्रदेश में हुदहुद चक्रवात के कारण फसल को हुआ नुकसान भी चिंता का एक विषय है। अन्य मसालों के बीच पिछले दो सालों से कीमत में करीब 40 फीसदी की तेजी दर्ज करने वाले धनिये की कीमत एनसीडीईएक्स में 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। अप्रैल डिलिवरी में धनिये की कीमत सोमवार को 2.1 फीसदी की गिरावट के साथ 7,131 रुपये प्रति क्विंटल रही। अप्रैल डिलिवरी वाली चिली तेजा की कीमत में 1.25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 102 रुपये घटकर दोपहर कारोबार तक 8,058 रुपये प्रति क्विंटल रही। सीरिया और तुर्की में भू-राजनीतिक तनावों के चलते भारत से जीरा निर्यात मांग में तेजी आ रही है। वर्ष 2014-15 की पहली छमाही के दौरान जीरा निर्यात 87,500 टन रहा जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 25 फीसदी अधिक था। (BS Hindi)
ठीक इसी तरह अन्य महीनों के करारों में तेजी देखने को मिली। केडिया कमोडिटी कॉमटे्रड के प्रबंध निदेशक अजय केडिया ने कहा, 'इस साल भारत में कम उत्पादन की आशंकाओं के बीच जीरा और हल्दी दोनों पिछले कई महीनों से तेज बने हुए हैं। किसानों ने धनिया बोना शुरू कर दिया जिससे पिछले दो सालों के दौरान उन्हें करीब 40 फीसदी का प्रतिफल मिला है।' जबकि निर्यात मांग में कोई कमी नहीं आई। हालांकि निर्यात को और बढ़ावा देने के लिए इंडियन मर्चेंट्स चैंबर, नवी मुंबई के चेयरमैन आर के जैन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल श्रीलंका की यात्रा पर गए थे। इंडियन मर्चेंट्स चैंबर, नवी मुंबई के सहायक चेयरमैन योगेश मेहता ने कहा, 'फिलहाल भारत को श्रीलंका में मसालों का निर्यात करने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि श्रीलंका ने इस मामले में पाकिस्तान और चीन को तरजीह दे रखी है। हमें उम्मीद है कि हमारी यात्रा से बेहतर परिणाम सामने आएंगे और श्रीलंका के लिए मसालों का निर्यात बढ़ेगा।' कारोबारी सूत्रों का अनुमान है कि गुजरात और राजस्थान जैसे दो बड़े उत्पादक राज्यों में इस रबी सीजन के दौरान जीरे के रकबे में करीब 29 फीसदी की गिरावट आ सकती है। इस साल जीरे का रकबा 6,03,000 हेक्टेयर रहने का अनुमान है।
इसके अलावा जनवरी में मॉनसून के चलते तैयार फसल को भी नुकसान हुआ है। देरी से आए मॉनसून के चलते मिट्टी में नमी की कमी रही जिसके कारण हल्दी के रकबे में भी इस साल 10 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है। इसके अलावा अक्टूबर, 2014 में आंध्र प्रदेश में हुदहुद चक्रवात के कारण फसल को हुआ नुकसान भी चिंता का एक विषय है। अन्य मसालों के बीच पिछले दो सालों से कीमत में करीब 40 फीसदी की तेजी दर्ज करने वाले धनिये की कीमत एनसीडीईएक्स में 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। अप्रैल डिलिवरी में धनिये की कीमत सोमवार को 2.1 फीसदी की गिरावट के साथ 7,131 रुपये प्रति क्विंटल रही। अप्रैल डिलिवरी वाली चिली तेजा की कीमत में 1.25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 102 रुपये घटकर दोपहर कारोबार तक 8,058 रुपये प्रति क्विंटल रही। सीरिया और तुर्की में भू-राजनीतिक तनावों के चलते भारत से जीरा निर्यात मांग में तेजी आ रही है। वर्ष 2014-15 की पहली छमाही के दौरान जीरा निर्यात 87,500 टन रहा जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 25 फीसदी अधिक था। (BS Hindi)
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