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17 फ़रवरी 2015

उत्पादों में मांग नहीं होने से सोयाबीन प्लांटों की हालत पतली


कुल क्षमता का 25 फीसदी उपयोग भी नहीं हो रहा, खरीफ में सोयाबीन की बुवाई पर असर पड़ने की आषंका
आर एस राणा
नई दिल्ली। सोया रिफाइंड तेल के साथ ही सोया खली में कमजोर से सोयाबीन प्लांटों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। इस समय प्लांट कुल पेराई क्षमता का 25 फीसदी ही उपयोग कर पा रहे हैं। स्टॉकिस्टों के साथ ही किसानों के पास सोयाबीन का करीब 60 फीसदी स्टॉक बचा हुआ है तथा आगामी दिनों में उत्पादों में मांग नहीं बढ़ी तो, खरीफ में सोयाबीन की बुवाई पर भी इसका असर पड़ने की आषंका है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएषन ऑफ इंडिया (सोपा) के प्रवक्ता राजेष अग्रवाल ने मार्किट टाईम्स को बताया कि आयातित तेल सस्ते होने के सोयाबीन रिफाइंड तेल में घरेलू मांग काफी कमजोर है, जबकि विष्व बाजार में दाम कम होने के कारण सोयाखली के निर्यात में भी भारी गिरावट आई है। इसका असर सोयाबीन प्लांट पर पड़ रहा है। प्लांट कुल क्षमता का केवल 25-30 फीसदी ही उपयोग कर पा रहे हैं। इससे प्लांटों पर खर्च का बोझ लगातार बढ़ रहा है जिससे निर्माताओं को भारी घाटा लग रहा है।
उन्होंने बताया कि चालू सीजन में करीब 90 लाख टन सोयाबीन की पैदावार हुई थी जबकि अभी तक केवल 35-40 फीसदी ही माल बाजार में आया है। सोयाबीन तेल और खली में मांग कमजोर ही रही तो इसका असर खरीफ में सोयाबीन की बुवाई पर भी पड़ सकता है। उत्पादक मंडियों में सोयाबीन के दाम 3,340-3,450 रूपये प्रति क्विंटल प्लांट डिलीवरी चल रहे हैं जबकि सोया खली के दाम एक्स प्लांट 28,500 से 29,000 रूपये प्रति टन है। रिफाइंड सोया तेल के दाम इंदौर में 610-620 रूपये प्रति 10 किलो है।
साई सिमरन फूड्स लिमिटेड के डायरेक्टर नरेष गोयनका ने बताया कि स्टॉकिस्ट और किसान नीचे भाव में सोयाबीन की बिकवाली नहीं कर रहे हैं जबकि उत्पादों में उठाव नहीं है। ऐसे में प्लांट महीने में केवल पांच से सात दिन ही क्रेसिंग कर पा रहे है। उन्होंने बताया कि हर महीने करीब 15 से 18 लाख टन सोयाबीन की क्रेसिंग होनी चाहिए जबकि इस समय केवल 4-5 लाख टन की ही क्रेसिंग हो पा रही है। ऐसे में नई फसल के समय सोयाबीन का बकाया स्टॉक भी ज्यादा बचने का अनुमान है। विष्व बाजार में अभी कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है इसलिए आगामी दिनों में घरेलू बाजार में भी कीमतें बढ़ने की उम्मीद नहीं है।.......आर एस राणा

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