अपर्याप्त भंडारण क्षमता को देखते हुए सरकार उत्तर पूर्व राज्यों में खाद्यान्न की खरीद के लिए निजी कंपनियों की मदद लेने की योजना बना रही है। निजी कंपनियों को स्वतंत्र रूप से या फिर राज्य एजेंसियों की ओर से खरीद का काम सौंपा जा सकता है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों पर अमल करते हुए निगम के चेयरमैन सी विश्वनाथ ने उत्तर पूर्वी राज्यों के सचिवों और वेयरहाउसिंग क्षेत्र की निजी कंपनियों की एक बैठक 17 फरवरी को बुलाई और किसानों को दबाव में बिक्री करने से बचाने और खाद्यान्न की खरीद के लिए किसानों तक पहुंचने की योजना बनाने के लिए कहा। संबंधित सरकारें बुधवार तक अपनी योजना एफसीआई को सौंप सकती हैं। हालांकि बैठक में राज्यों के सचिव एफसीआई या राज्यों की भंडारण क्षमता में कमी को देखते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य कामकाज को पूरा करने के लिए निजी कंपनियों की मदद लेने की बात से सहमत नजर आए। दिलचस्प बात यह है कि भारत के कुल खाद्यान्न उत्पादन में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है। निजी कंपनियों ने भी इस बैठक में अपनी योजनाओं का खाका पेश किया।
पश्चिम बंगाल के प्रमुख सचिव (खाद्य) अनिल वर्मा ने कहा, 'पश्चिम बंगाल न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ छोटे और गरीब किसानों तक पहुंचाने के लिए निजी कंपनियों का स्वागत कर सकता है।' उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा सहित कई राज्यों के कुछ हिस्सों को मिलाकर बने उत्तर पूर्वी क्षेत्र के ज्यादातर बड़े किसान खाद्यान्न की कटाई के दौरान घबराहट में बिकवाली करते हैं जिससे बिचौलिए कीमतें कम होने का फायदा उठाकर भंडारण कर लेते हैं।
एफसीआई के एक अधिकारी ने बताया, 'हमें इस क्षेत्र में कई बार घबराहट में बिक्री के मामले देखने को मिले हैं। लेकिन चूंकि कृषि राज्यों के अधिकार क्षेत्र का मामला है ऐसे में एमएसपी के काम को अंजाम देने के लिए निजी कंपनियों की मदद लेने का फैसला राज्यों का है। हमें कोई समस्या नहीं है अगर राज्य सरकारें इस काम में निजी कंपनियों की मदद लेना चाहती हैं। अगर राज्य सरकारों की मदद ली जाती है तो उन्हें सिर्फ खरीद की अनुमति मिलेगी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत परिवहन और वितरण का नियंत्रण संबद्घ राज्य सरकारों के पास होगा।'
चूंकि एफसीआई के पास पर्याप्त भंडारण क्षमता नहीं है, खाद्यान्न खरीदने वाली सरकारी एजेंसी अपनी तरफ से किसी एमएसपी गतिविधि का संचालन नहीं करती है, ऐसे में किसानों के पास अपने उत्पाद बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में 40 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले इस क्षेत्र का अलग ही महत्व है। अन्य कृषि केंद्रीत राज्यों में तीन फसलों की व्यवस्था के मुकाबले सिंचाई व्यवस्था की कमी के कारण इस क्षेत्र के ज्यादातर इलाकों में सिर्फ एक फसल ही की जाती है। इसलिए इस क्षेत्र में खाद्यान्न वृद्घि के लिहाज से अपार संभावनाएं हैं। (BS Hindi)
पश्चिम बंगाल के प्रमुख सचिव (खाद्य) अनिल वर्मा ने कहा, 'पश्चिम बंगाल न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ छोटे और गरीब किसानों तक पहुंचाने के लिए निजी कंपनियों का स्वागत कर सकता है।' उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा सहित कई राज्यों के कुछ हिस्सों को मिलाकर बने उत्तर पूर्वी क्षेत्र के ज्यादातर बड़े किसान खाद्यान्न की कटाई के दौरान घबराहट में बिकवाली करते हैं जिससे बिचौलिए कीमतें कम होने का फायदा उठाकर भंडारण कर लेते हैं।
एफसीआई के एक अधिकारी ने बताया, 'हमें इस क्षेत्र में कई बार घबराहट में बिक्री के मामले देखने को मिले हैं। लेकिन चूंकि कृषि राज्यों के अधिकार क्षेत्र का मामला है ऐसे में एमएसपी के काम को अंजाम देने के लिए निजी कंपनियों की मदद लेने का फैसला राज्यों का है। हमें कोई समस्या नहीं है अगर राज्य सरकारें इस काम में निजी कंपनियों की मदद लेना चाहती हैं। अगर राज्य सरकारों की मदद ली जाती है तो उन्हें सिर्फ खरीद की अनुमति मिलेगी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत परिवहन और वितरण का नियंत्रण संबद्घ राज्य सरकारों के पास होगा।'
चूंकि एफसीआई के पास पर्याप्त भंडारण क्षमता नहीं है, खाद्यान्न खरीदने वाली सरकारी एजेंसी अपनी तरफ से किसी एमएसपी गतिविधि का संचालन नहीं करती है, ऐसे में किसानों के पास अपने उत्पाद बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में 40 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले इस क्षेत्र का अलग ही महत्व है। अन्य कृषि केंद्रीत राज्यों में तीन फसलों की व्यवस्था के मुकाबले सिंचाई व्यवस्था की कमी के कारण इस क्षेत्र के ज्यादातर इलाकों में सिर्फ एक फसल ही की जाती है। इसलिए इस क्षेत्र में खाद्यान्न वृद्घि के लिहाज से अपार संभावनाएं हैं। (BS Hindi)
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