प्लांटर्स की एक संस्था यूनाइटेड प्लांटर्स एसोसिएशन ऑफ सदर्न इंडिया
(उपासी) ने सरकार से प्राकृतिक रबर पर आयात शुल्क बढ़ाकर 30 फीसदी करने का
आग्रह किया है। इस समय आयात शुल्क 20 फीसदी है। उन्होंने कहा कि इससे घरेलू
किसानों का संरक्षण होगा, जो कीमतों में बड़ी गिरावट से भारी घाटा झेल रहे
हैं।
बजट पूर्व ज्ञापन-पत्र में उपासी के अध्यक्ष विजयन राजेश ने कहा, 'अगर ऐसे तात्कालिक कदम नहीं उठाए गए तो इससे उन 12 लाख किसानों की आजीविका पर असर पड़ेगा, जो इस महत्त्वपूर्ण औद्योगिक कच्चे माल की पैदावार से जुड़े हैं। इस बात की भी आशंका है कि बहुत से किसान अन्य फसलों का रुख कर सकते हैं।' उन्होंने उपभोक्ता उद्योगों के इस दावे का खंडन किया कि प्राकृतिक रबर के आयात ने घरेलू किसानों को प्रभावित नहीं किया है।
आयात के आंकड़ों से यह साफ है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान आयात बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष के दौरान यह रुझान बेलगाम जारी है। अप्रैल से दिसंबर 2014 के दौरान प्राकृतिक रबर का आयात 3,51,000 टन रहा है, जो इससे पिछले साल की इसी अवधि में 2,88,000 टन था। यह आयात में सालाना आधार पर 22 फीसदी बढ़ोतरी दर्शाता है। हालांकि खपत महज 4.4 फीसदी बढ़कर 7,64,000 टन रही है, जो अप्रैल-दिसंबर 2013 में 7,31,000 टन थी। भारत अब तक वैश्विक रबर उत्पादन में अग्रणी था। लेकिन अब पांचवें पायदान पर आ गया है, क्योंकि रबर उत्पादकों ने अलाभकारी कीमतों के कारण टैपिंग बंद कर दी है। उत्पादकों के टैपिंग नहीं करना उत्पादन में कमी का एक मुख्य कारण है और इस कमी का इस्तेमाल ज्यादा आयात की एक वजह के रूप में किया जा रहा है। (BS Hindi)
बजट पूर्व ज्ञापन-पत्र में उपासी के अध्यक्ष विजयन राजेश ने कहा, 'अगर ऐसे तात्कालिक कदम नहीं उठाए गए तो इससे उन 12 लाख किसानों की आजीविका पर असर पड़ेगा, जो इस महत्त्वपूर्ण औद्योगिक कच्चे माल की पैदावार से जुड़े हैं। इस बात की भी आशंका है कि बहुत से किसान अन्य फसलों का रुख कर सकते हैं।' उन्होंने उपभोक्ता उद्योगों के इस दावे का खंडन किया कि प्राकृतिक रबर के आयात ने घरेलू किसानों को प्रभावित नहीं किया है।
आयात के आंकड़ों से यह साफ है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान आयात बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष के दौरान यह रुझान बेलगाम जारी है। अप्रैल से दिसंबर 2014 के दौरान प्राकृतिक रबर का आयात 3,51,000 टन रहा है, जो इससे पिछले साल की इसी अवधि में 2,88,000 टन था। यह आयात में सालाना आधार पर 22 फीसदी बढ़ोतरी दर्शाता है। हालांकि खपत महज 4.4 फीसदी बढ़कर 7,64,000 टन रही है, जो अप्रैल-दिसंबर 2013 में 7,31,000 टन थी। भारत अब तक वैश्विक रबर उत्पादन में अग्रणी था। लेकिन अब पांचवें पायदान पर आ गया है, क्योंकि रबर उत्पादकों ने अलाभकारी कीमतों के कारण टैपिंग बंद कर दी है। उत्पादकों के टैपिंग नहीं करना उत्पादन में कमी का एक मुख्य कारण है और इस कमी का इस्तेमाल ज्यादा आयात की एक वजह के रूप में किया जा रहा है। (BS Hindi)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें