बढ़ती खपत और कम घरेलू उत्पादन के कारण पीली मटर की कीमतें मार्च के अंत तक कम से कम 10 फीसदी बढऩे की संभावना है। पिछले साल दिसंबर में इस दाल का भाव 1,900 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन इस समय मुंबई में पीली मटर का भाव 2,350 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। हालांकि अप्रैल 2014 के अंत में महज दो महीने के भीतर कीमतें 25 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई थीं। इसकी वजह कनाडा से आयात घटना था, जो भारत को पीली मटर का निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश है। अप्रैल, 2014 के अंत में पीली मटर के दाम 3,100 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। इससे अन्य दालों के दामों में भी तेजी आने के आसार हैं। इंडिया पल्सेज ऐंड ग्रेन्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और मुंबई की पंचम इंटरनैशनल के प्रबंध निदेशक बिमल कोठारी ने कहा, 'वर्ष 2014 पीली मटर के लिए अन्य वर्षों से बिल्कुल अलग रहा। लेकिन इस साल कीमतों में उतनी तेजी की संभावना नहीं है। हालांकि यह जिंस मार्च तक निश्चित रूप से 2,500 से 2,600 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच जाएगी।'
देश में पीली मटर की सालाना खपत करीब 25 लाख टन है, जबकि उत्पादन महज 6 लाख टन ही है। इसका उत्पादन मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और उसके पड़ोसी राज्यों में होता है। इस तरह भारत में पीली मटर की खपत के करीब 75 फीसदी हिस्से का आयात होता है, जिसमें से 90 फीसदी का आयात कनाडा और शेष यूक्रेन एïवं रूस से होता है। पीली मटर का अक्टूबर-नवंबर में भारी आयात हुआ है। हालांकि उसके बाद से अंतरराष्ट्रीय कीमतों और घरेलू कीमतों में कोई समानता नहीं रही है, जिसकी वजह से बाद में काफी कम आयात हुआ है। एक कारोबारी ने कहा कि पाइपलाइन इन्वेंट्री बनाने के लिए कारोबारी और स्टॉकिस्ट खरीदारी में रुचि दिखा रहे हैं, जिससे अगले महीने तक पीली मटर की कीमतों में अचानक तेजी आ सकती है। जनवरी में बेमौसम बारिश का उत्पादकता और उत्पादन पर असर पड़ा है। एक कारोबारी ने कहा, 'कम उत्पादन के कारण मांग आपूर्ति से आगे निकल सकती है और इसलिए कीमतों में तेजी आएगी। इसके साथ ही कम उत्पादन की संभावनाओं से स्टॉकिस्ट नई फसल के स्टॉक के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं, जिससे कीमतों में बढ़ोतरी होगी।' (BS Hindi)
देश में पीली मटर की सालाना खपत करीब 25 लाख टन है, जबकि उत्पादन महज 6 लाख टन ही है। इसका उत्पादन मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और उसके पड़ोसी राज्यों में होता है। इस तरह भारत में पीली मटर की खपत के करीब 75 फीसदी हिस्से का आयात होता है, जिसमें से 90 फीसदी का आयात कनाडा और शेष यूक्रेन एïवं रूस से होता है। पीली मटर का अक्टूबर-नवंबर में भारी आयात हुआ है। हालांकि उसके बाद से अंतरराष्ट्रीय कीमतों और घरेलू कीमतों में कोई समानता नहीं रही है, जिसकी वजह से बाद में काफी कम आयात हुआ है। एक कारोबारी ने कहा कि पाइपलाइन इन्वेंट्री बनाने के लिए कारोबारी और स्टॉकिस्ट खरीदारी में रुचि दिखा रहे हैं, जिससे अगले महीने तक पीली मटर की कीमतों में अचानक तेजी आ सकती है। जनवरी में बेमौसम बारिश का उत्पादकता और उत्पादन पर असर पड़ा है। एक कारोबारी ने कहा, 'कम उत्पादन के कारण मांग आपूर्ति से आगे निकल सकती है और इसलिए कीमतों में तेजी आएगी। इसके साथ ही कम उत्पादन की संभावनाओं से स्टॉकिस्ट नई फसल के स्टॉक के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं, जिससे कीमतों में बढ़ोतरी होगी।' (BS Hindi)
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