अरंडी की कीमतें 6 सप्ताह से भी कम समय में 17 फीसदी नीचे आ चुकी हैं। नए सत्र की फसल आने और वैश्विक बाजारों से इसके उत्पादों की कमजोर मांग की वजह से अरंडी की कीमतों में गिरावट आई है। तिलहन गुजरात के हाजिर बाजार में मौजूदा समय में 3911 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहा है जो 1 जनवरी को 4728 रुपये प्रति क्विंटल पर था। वायदा कारोबार में भी अरंडी की कीमतें समान अवधि में 23 फीसदी से अधिक कमजोर हुई हैं। हालांकि इस जिंस में दिसंबर में वायदा बाजार के दोनों खंडों में अधिक उतार-चढ़ाव बना रहा। जहां अरंडी बीज कीमतें 4500 रुपये प्रति क्विंटल से 18 फीसदी तक चढ़ कर 5294 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गई, जो साल में सर्वाधिक रहा और फिर मौजूदा समय में गिर कर 3900 रुपये प्रति क्विंटल के बेंचमार्क स्तर से नीचे आ गई हैं।
लुब्रिकेंट्ïस और पेंट उद्योगों के लिए अपने उत्पादों के रूप में इस्तेमाल के साथ भारत 15-16 लाख टन के बीच अपने सालाना अनुमानित उत्पादन के साथ दुनिया में इस संदर्भ में दबदबा बनाए हुए है। उद्योग संस्था सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्रीज ऐंड ट्रेड (कोएट) के ताजा अनुमान में भविष्यवाणी की गई कि भारत का अरंडी उत्पादन 11 लाख टन पर रहेगा जो सरकार के 19.63 लाख टन के पहले अग्रिम अनुमान से काफी कम है। कैस्टर डेवलपमेंट ऐंड एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के अध्यक्ष दिलीप कुमार ने कहा, 'हमारा मानना है कि कम पैदावार की वजह से अरंडी बीज उत्पादन 11 लाख टन पर रहेगा। मॉनसून की बारिश में विलंब की वजह से बुआई में एक महीने से अधिक की देरी से इस साल पैदावार प्रभावित होने की आशंका है। हालांकि पहले बुआई वाली फसलों की पैदावार अधिक रहने का अनुमान है, लेकिन औसतन रूप से बुआई में विलंब का असर दिखेगा।'
कुमार का मानना है कि घरेलू और निर्यात पाइपलाइनों की पुन: भराई के बाद अरंडी की कीमतें कुछ महीनों में चढ़ कर 5000 रुपये प्रति क्विंटल पर आएंगी। भारत खासकर निर्यात के लिए तेल के स्वरूप में लगभग 7-8 लाख टन अरंडी उत्पादों का उत्पादन करता है। इसका घरेलू इस्तेमाल काफी कम है। व्यापारियों को हाजिर बाजारों में कुल आवक 2600 टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले लगभग 25 फीसदी कम है। ऐंजल कमोडिटीज ब्रोकिंग में विश्लेषक रितेश कुमार साहू ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, 'सरकार का उत्पादन अनुमान गुजरात में औसतन पैदावार के आधार पर 1150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जिसके हासिल होने की संभावना नहीं दिख रही है।' (BS Hindi)
लुब्रिकेंट्ïस और पेंट उद्योगों के लिए अपने उत्पादों के रूप में इस्तेमाल के साथ भारत 15-16 लाख टन के बीच अपने सालाना अनुमानित उत्पादन के साथ दुनिया में इस संदर्भ में दबदबा बनाए हुए है। उद्योग संस्था सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्रीज ऐंड ट्रेड (कोएट) के ताजा अनुमान में भविष्यवाणी की गई कि भारत का अरंडी उत्पादन 11 लाख टन पर रहेगा जो सरकार के 19.63 लाख टन के पहले अग्रिम अनुमान से काफी कम है। कैस्टर डेवलपमेंट ऐंड एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के अध्यक्ष दिलीप कुमार ने कहा, 'हमारा मानना है कि कम पैदावार की वजह से अरंडी बीज उत्पादन 11 लाख टन पर रहेगा। मॉनसून की बारिश में विलंब की वजह से बुआई में एक महीने से अधिक की देरी से इस साल पैदावार प्रभावित होने की आशंका है। हालांकि पहले बुआई वाली फसलों की पैदावार अधिक रहने का अनुमान है, लेकिन औसतन रूप से बुआई में विलंब का असर दिखेगा।'
कुमार का मानना है कि घरेलू और निर्यात पाइपलाइनों की पुन: भराई के बाद अरंडी की कीमतें कुछ महीनों में चढ़ कर 5000 रुपये प्रति क्विंटल पर आएंगी। भारत खासकर निर्यात के लिए तेल के स्वरूप में लगभग 7-8 लाख टन अरंडी उत्पादों का उत्पादन करता है। इसका घरेलू इस्तेमाल काफी कम है। व्यापारियों को हाजिर बाजारों में कुल आवक 2600 टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले लगभग 25 फीसदी कम है। ऐंजल कमोडिटीज ब्रोकिंग में विश्लेषक रितेश कुमार साहू ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, 'सरकार का उत्पादन अनुमान गुजरात में औसतन पैदावार के आधार पर 1150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जिसके हासिल होने की संभावना नहीं दिख रही है।' (BS Hindi)
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