पंजाब में अधिकतर किसान मक्के की खेती करने को अनिच्छुक नजर आ रहे हैं क्योंकि राज्य सरकार मक्के के लिए विभिन्न प्रकार के अनाजों की खेती करने के कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को देने में विफल हो रही है। कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार मार्कफेड पंजाब में विभिन्न प्रकार के अनाजों की खेती करने के कार्यक्रम के अंतर्गत मक्के की खेती को आकर्षित करने में जुटी है।लेकिन उक्त एजेंसी इस काम को करने में विफल रही है। इसके चलते खेतीबाड़ी समुदाय के लोग भी मायूस हो रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1300 रुपये से अधिक है। पिछले साल फसलों की हालत को देखते हुए किसानों को मजबूरी में 800 रुपये से 1200 रुपये तक फसलों की बिक्री करनी पड़ी थी। जिला कृषि विभाग से जब यह पूछा गया कि वे मक्के की फसल के लिए किसानों का समर्थन कर सकते हैं या नहीं तो मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. सुत्तांतर कुमार ऐरी ने कहा कि विभाग इसका समर्थन नहीं कर सकता क्योंकि इसमें काफी पानी की जरूरत होती है। हालांकि विभाग की ओर से 2015-16 में मक्के की खेती के लिए 18 हजार हेक्टेयर भूमि का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि मक्के के फसलों की कम कीमतों के चलते ही किसानों के हौसले में कमी आई है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने पंजाब मंडी बोर्ड के साथ मिलकर मक्का सुखाने की मशीन लगाई है। (BS Hindi)
सूत्रों के अनुसार मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1300 रुपये से अधिक है। पिछले साल फसलों की हालत को देखते हुए किसानों को मजबूरी में 800 रुपये से 1200 रुपये तक फसलों की बिक्री करनी पड़ी थी। जिला कृषि विभाग से जब यह पूछा गया कि वे मक्के की फसल के लिए किसानों का समर्थन कर सकते हैं या नहीं तो मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. सुत्तांतर कुमार ऐरी ने कहा कि विभाग इसका समर्थन नहीं कर सकता क्योंकि इसमें काफी पानी की जरूरत होती है। हालांकि विभाग की ओर से 2015-16 में मक्के की खेती के लिए 18 हजार हेक्टेयर भूमि का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि मक्के के फसलों की कम कीमतों के चलते ही किसानों के हौसले में कमी आई है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने पंजाब मंडी बोर्ड के साथ मिलकर मक्का सुखाने की मशीन लगाई है। (BS Hindi)
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