भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) अगले कुछ महीनों में गेहूं और चावल के अलावा
तिलहन और दलहन की खरीद भी शुरू कर सकता है। दलहन और तिलहन के न्यूनतम
समर्थन मूल्य (एमएसपी) से संबद्ध एक दीर्घकालिक निर्यात एवं आयात नीति भी
बनाए जाने की संभावना है। केंद्र सरकार की खाद्यान्न खरीद इकाई-एफसीआई अभी
दलहन और तिलहन की खरीद नहीं करती है। अगर इन जिंसों की कीमतें गिरती हैं तो
आमतौर पर कृषि मंत्रालय नेफेड और लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ के जरिये
सीमित दखल देता है। खाद्य, कृषि, वाणिज्य एवं वित्त मंत्रालयों के वरिष्ठ
अधिकारियों की बैठक में इसमें इस स्थिति को बदलने का फैसला लिया गया। इसके
अलावा एफसीआई में सुधार पर शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने की
योजना बनाने की बात भी कही गई।
अधिकारियों ने कहा कि एफसीआई ने इस बात पर सहमति जताई है कि वह कृषि मंत्रालय के फैसला लेने के बाद तिलहन और दलहन की खरीद शुरू करेगा। इस बैठक में हिस्सा लेने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'किसानों को निश्चित रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए तिलहन और दलहन की खरीद में हमें कोई दिक्कत नहीं है।'
शांता कुमार पैनल ने कहा था कि सरकार को अपनी एमएसपी नीति में संशोधन करने की जरूरत है। पिछले महीने प्रधानमंत्री को सौंपी अपनी रिपोर्ट में पैनल ने कहा था, 'अगर सरकार धान और गेहूं की खरीद के लिए उचित व्यवस्था नहीं बना सकती तो 23 जिंसों का एमएसपी घोषित करने का कोई तुक नहीं है। दालों और तिलहनों (खाद्य तेलों) को प्राथमिकता देने की जरूरत है।' अधिकारी ने कहा, 'कमेटी की ज्यादातर प्रमुख सिफारिशों पर खाद्य, कृषि, उर्वरक, वाणिज्य और वित्त मंत्रालयों ने अपना रुख तय कर लिया है और इसकी सूचना प्रधानमंत्री कार्यालय को अगले कुछ दिनों में दी जाएगी।'
उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय ने उन 23 से ज्यादा फसलों की कीमत नीति की समीक्षा करने पर सहमति जताई है, जिनका एमएसपी घोषित किया जाता है। अगर जरूरत महसूस हुई तो मंत्रालय इस सूची में कुछ फसलों को हटा भी सकता है। एफसीआई आगे से केवल निजी मिलों के बजाय राज्य सरकारों से चावल की खरीद करेगा। (BS Hindi)
अधिकारियों ने कहा कि एफसीआई ने इस बात पर सहमति जताई है कि वह कृषि मंत्रालय के फैसला लेने के बाद तिलहन और दलहन की खरीद शुरू करेगा। इस बैठक में हिस्सा लेने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'किसानों को निश्चित रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए तिलहन और दलहन की खरीद में हमें कोई दिक्कत नहीं है।'
शांता कुमार पैनल ने कहा था कि सरकार को अपनी एमएसपी नीति में संशोधन करने की जरूरत है। पिछले महीने प्रधानमंत्री को सौंपी अपनी रिपोर्ट में पैनल ने कहा था, 'अगर सरकार धान और गेहूं की खरीद के लिए उचित व्यवस्था नहीं बना सकती तो 23 जिंसों का एमएसपी घोषित करने का कोई तुक नहीं है। दालों और तिलहनों (खाद्य तेलों) को प्राथमिकता देने की जरूरत है।' अधिकारी ने कहा, 'कमेटी की ज्यादातर प्रमुख सिफारिशों पर खाद्य, कृषि, उर्वरक, वाणिज्य और वित्त मंत्रालयों ने अपना रुख तय कर लिया है और इसकी सूचना प्रधानमंत्री कार्यालय को अगले कुछ दिनों में दी जाएगी।'
उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय ने उन 23 से ज्यादा फसलों की कीमत नीति की समीक्षा करने पर सहमति जताई है, जिनका एमएसपी घोषित किया जाता है। अगर जरूरत महसूस हुई तो मंत्रालय इस सूची में कुछ फसलों को हटा भी सकता है। एफसीआई आगे से केवल निजी मिलों के बजाय राज्य सरकारों से चावल की खरीद करेगा। (BS Hindi)
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