चना उत्पादक प्रमुख राज्यों में कम रकबे और बेमौसम बारिश से फसल को नुकसान पहुंचने से इसकी कीमतों में अगले दो महीनों के दौरान 10 फीसदी बढ़ोतरी होने की संभावना है। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने दालों के आयात को रोकने के लिए शुल्क लगाने और दालों के निर्यात का आश्वासन दिया है। इससे चने की कीमतों में तेजी को सहारा मिल सकता है। केडिया कमोडिटीज के प्रबंध निदेशक अजय केडिया ने कहा, 'नए सीजन की फसल की आवक स्थिर होने और उत्पादन का अंतिम आंकड़ा पता चलने पर चना निश्चित रूप से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच जाएगा। लेकिन बुआई के रकबे में भारी गिरावट से उत्पादन कम रहने के अनुमानों को देखते हुए पूरे वर्ष चने में तेजी रहेगी।' वर्ष 2013-14 में ज्यादातर समय चने का भाव उस साल के न्यूनतम समर्थन मूल्य 3,100 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे बना रहा। वर्ष 2013 में रिकॉर्ड उत्पादन और वर्ष 2014 के शुरुआती महीनों में कम कीमतों (डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती) पर ज्यादा आयात के कारण बाजारों में स्टॉक ज्यादा रहा।
वर्ष 2014 में मॉनसून की देरी से आवक से बाजार में तेजी के रुझानों को कुछ हद तक सहारा मिला। लेकिन जमाखोरों के खिलाफ सरकार के लगातार कार्रवाई करने से कीमतें नहीं बढ़ीं। पेट्रोल/डीजल की कीमतों में लगातार गिरावट और कुछ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अच्छे उत्पादन से रुझान कमजोर बना रहा। पंचम इंटरनैशनल के प्रबंध निदेशक और इंडिया पल्सेज ऐंड ग्रेन मर्चेन्ट्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बिमल कोठारी ने कहा, 'पिछले साल किसानों को अच्छी कीमतें नहीं मिलीं, जिससे इस साल कम रकबे में बुआई हुई है। एक स्वतंत्र सर्वे की रिपोर्ट में इस साल उत्पादन में 15-20 फीसदी गिरावट आने की बात कही गई है, जिससे कीमतों में तेजी को बल मिलेगा। नए सीजन की फसल आने से निकट भविष्य में चना सीमित दायरे में या कमजोर रहेगा। लेकिन बाद में कीमतें निश्चित रूप से बढ़ेंगी।'
केडिया के मुताबिक जनवरी के मध्य में बारिश से राजस्थान में कम से कम 4-5 फीसदी फसल के नुकसान का अनुमान है। वहीं देश के अन्य हिस्सों विशेष रूप से मध्य प्रदेश में भी फसल को नुकसान पहुंचा है। लेकिन कटाई तक वास्तविक नुकसान बढ़कर 8-9 फीसदी तक पहुंच सकता है। बारिश से खड़ी फसल की तुलना में पकी हुई फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचा है। पासवान ने 30 दिसंबर को कहा था कि उनके मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय से सिफारिश की है कि गिरती कीमतों से स्थानीय किसानों के हितों के संरक्षण के लिए दालों के आयात पर 10 फीसदी शुल्क लगाया जाएगा।
पिछले एक साल के दौरान दालों की कीमतें कमजोर रही हैं और कई मौकों पर ये सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3,100 रुपये प्रति क्विंटल से भी नीचे आ गई थीं। इसके अलावा मंत्री ने दालों के निर्यात को मंजूरी देने की भी सिफारिश की थी। गौरतलब है कि देश में कई वर्षों से दालों के निर्यात पर रोक लगी हुई है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2014-15 के रबी सीजन में दलहन का रकबा 6 फरवरी तक 9.30 फीसदी गिरकर 142.9 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि में 157.6 लाख हेक्टेयर था। इस साल चने का रकबा 15.10 फीसदी घटकर 85.3 लाख हेक्टेयर रहा है, जो पिछले साल इस समय तक 100.5 लाख हेक्टेयर था। (BS Hindi)
वर्ष 2014 में मॉनसून की देरी से आवक से बाजार में तेजी के रुझानों को कुछ हद तक सहारा मिला। लेकिन जमाखोरों के खिलाफ सरकार के लगातार कार्रवाई करने से कीमतें नहीं बढ़ीं। पेट्रोल/डीजल की कीमतों में लगातार गिरावट और कुछ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अच्छे उत्पादन से रुझान कमजोर बना रहा। पंचम इंटरनैशनल के प्रबंध निदेशक और इंडिया पल्सेज ऐंड ग्रेन मर्चेन्ट्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बिमल कोठारी ने कहा, 'पिछले साल किसानों को अच्छी कीमतें नहीं मिलीं, जिससे इस साल कम रकबे में बुआई हुई है। एक स्वतंत्र सर्वे की रिपोर्ट में इस साल उत्पादन में 15-20 फीसदी गिरावट आने की बात कही गई है, जिससे कीमतों में तेजी को बल मिलेगा। नए सीजन की फसल आने से निकट भविष्य में चना सीमित दायरे में या कमजोर रहेगा। लेकिन बाद में कीमतें निश्चित रूप से बढ़ेंगी।'
केडिया के मुताबिक जनवरी के मध्य में बारिश से राजस्थान में कम से कम 4-5 फीसदी फसल के नुकसान का अनुमान है। वहीं देश के अन्य हिस्सों विशेष रूप से मध्य प्रदेश में भी फसल को नुकसान पहुंचा है। लेकिन कटाई तक वास्तविक नुकसान बढ़कर 8-9 फीसदी तक पहुंच सकता है। बारिश से खड़ी फसल की तुलना में पकी हुई फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचा है। पासवान ने 30 दिसंबर को कहा था कि उनके मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय से सिफारिश की है कि गिरती कीमतों से स्थानीय किसानों के हितों के संरक्षण के लिए दालों के आयात पर 10 फीसदी शुल्क लगाया जाएगा।
पिछले एक साल के दौरान दालों की कीमतें कमजोर रही हैं और कई मौकों पर ये सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3,100 रुपये प्रति क्विंटल से भी नीचे आ गई थीं। इसके अलावा मंत्री ने दालों के निर्यात को मंजूरी देने की भी सिफारिश की थी। गौरतलब है कि देश में कई वर्षों से दालों के निर्यात पर रोक लगी हुई है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2014-15 के रबी सीजन में दलहन का रकबा 6 फरवरी तक 9.30 फीसदी गिरकर 142.9 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि में 157.6 लाख हेक्टेयर था। इस साल चने का रकबा 15.10 फीसदी घटकर 85.3 लाख हेक्टेयर रहा है, जो पिछले साल इस समय तक 100.5 लाख हेक्टेयर था। (BS Hindi)
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