नई दिल्ली। विष्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में आई गिरावट के कारण तेल-तिलहन उद्योग ने केंद्र सरकार आयातित खाद्य तेलों पर आयात षुल्क में बढ़ोतरी की मांग की है। वित मंत्री अरूण जेटली को लिखे पत्र में उद्योग ने कहा है कि आयातित खाद्य तेलों के दाम कम होने के कारण घरेलू बाजार में तिलहन के साथ ही खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आई है।
साल्वेंट एक्सट्ेक्टर्स एसोसिएषन ऑफ इंडिया (एसईए) ने केंद्र सरकार से मांग की है कि क्रूड पाम तेल (सीपीओ) के आयात पर षुल्क को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया जाये। साथ ही रिफाइंड तेल के आयात पर षुल्क को 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी करने की मांग की है। मेक इन इंडिया की तर्ज पर खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन पर सरकार को ज्यादा जोर देने की मांग की गई है। सरकार ने हाल ही में क्रूड पाम तेल के आयात पर षुल्क को 2.5 फीसदी से बढ़ाकर 7.5 फीसदी और रिफाइंड पर आयात षुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी किया था।
एसईए के अध्यक्ष प्रवीण एस लोखंड के अनुसार आर बी डी पॉमोलीन के दाम भारतीय बंदरगाह पर 25 दिसंबर 2014 को 685 डॉलर प्रति टन थे जबकि 31 जनवरी को इसके भाव घटकर 645 डालर प्रति टन रह गए। इसी तरह से क्रूड पॉम तेल के भाव इस दौरान 665 डॉलर प्रति टन से घटकर 625 डॉलर प्रति टन रह गए। उन्होंने बताया कि विष्व बाजार में दाम सस्ते होने के कारण रिफाइंड तेल का आयात ज्यादा हो रहा है जिसकी वजह से घरेलू उद्योग के सामने मुष्किल पैदा हो रही है। पिछले दो सालों से देष में खाद्य तेलों का रिकार्ड आयात हो रहा है जिसकी वजह से तिलहन उत्पादकों को भी नुकसान हो रहा है। तेल वर्श 2013-14 में देष में रिकार्ड 116 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था।
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