लखनऊ April 08, 2009
मलिहाबाद का मशहूर दशहरी आम इस बार खास होने वाला है और खास लोगों को ही इसका स्वाद चखने का मौका मिलेगा।
दरअसल मौसम के कहर ने दुनिया भर में शोहरत बटोरने वाले इस आम की फसल बर्बाद कर दी है, जिसके बाद इसकी कीमत बढ़ जाने का अंदेशा है।
आंधी तूफान का असर महज खरीदारों की जेब तक ही नहीं सिमटा है, बल्कि आम उपजाने वालों का हाल और भी बेहाल हो रहा है। दशहरी की फसल चौपट हो जाने के बाद फल पट्टी में कम से कम 5,000 लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
बागवानों की मानें, तो हर साल तकरीबन 2,400 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाला दशहरी आम इस बार महज 500 करोड़ रुपये का कारोबार ही कर सकेगा। मलिहाबाद के बागवानों का कहना है कि ऐसा कहर कई साल बाद टूटा है। अरसे बाद बौर आने के बाद आम की फसल बर्बाद हुई है।
पद्मश्री से सम्मानित बागवान कलीमुल्लाह के मुताबिक इस साल देर से बारिश होने की वजह से पेड़ों को खुराक ठीक ढंग से नहीं मिल पाई थी। इसके बाद बौर आते ही गर्मी बढ़ गई, जिसके कारण बौर भी खराब हो गई। बीते साल भी आम की फसल को नुकसान हुआ था, लेकिन तकरीबन 65 फीसदी फसल बाजार में आ गई थी। इस बार तो 10 फीसदी फसल बाजार में आने के आसार हैं।
मलिहाबाद के आम का निर्यात करने वालों की पेशानी पर भी बल गहरा रहे हैं। दरअसल पिछले साल वक्त से पहले ही बारिश हो जाने से दशहरी की फसल खराब हो गई थी और महज 20 टन आम का ही निर्यात हो पाया था। उससे पहले के वर्ष में भी कुल 12 टन का निर्यात हुआ था।
उत्तर प्रदेश नर्सरी संघ के अध्यक्ष शिवसरन सिंह का कहना है कि आंध्र प्रदेश की सरकार अलफांसो को प्रोत्साहित करती रही है और उत्तर प्रदेश को भी उसकी तर्ज पर काम करना चाहिए। उत्तर प्रदेश फल उत्पादक संघ के अध्यक्ष इंसराम अली ने सरकार से दशहरी उत्पादकों के लिए पैकेज की मांग तक कर डाली है। (BS Hindi)
08 अप्रैल 2009
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