अहमदाबाद February 18, 2009
हीरा उद्योग से जुड़े कारोबारियों की उम्मीदें धूमिल पड़ गई हैं, क्योंकि रत्न और आभूषण के निर्माताओं को उम्मीद थी कि 1009-10 के अंतरिम बजट में उन्हें सरकार की ओर से राहत मिल सकती है।
सूरत के 50,000 करोड़ रुपये के हीरा उद्योग पर वित्तीय संकट का गहरा असर पड़ा है। इस उद्योग से जुड़े प्रमुख कारोबारियों को भविष्य के दिन और कठिन नजर आ रहे हैं। वित्तीय संकट का नतीजा यह हुआ है कि इस उद्योग में काम करने वाले 150,000 कामगारों की नौकरियां जा चुकी हैं।
सूरत डायमंड एसोसिएशन (एसडीए) के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण नानावटी का कहना है, 'इस समय चल रहे वित्तीय उथल-पुथल का हीरा उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में हीरे का कारोबार करने वाले सरकार से एक राहत पैकेज की उम्मीद कर रहे थे। बजट में ऐसा कुछ नहीं हुआ।'
हीरा उद्योग अंतरिम बजट में एक विशेष राहत पैकेज की आस लगाए बैठा था, क्योंकि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह सूरत में नौकरियां खो चुके हीरा कारीगरों से मुलाकात की थी। उन्होंने इस क्षेत्र को समर्थन देने की बात भी कही थी।
इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक की अहमदाबाद में पिछले सप्ताह बैठक हुई थी, उसमें भी फैसला किया गया था कि इस उद्योग की समस्याओं को जानने के लिए एक टार्स फोर्स का गठन किया जाएगा।
उसने समस्या के समाधान के लिए भी संस्तुतियां दी थीं। अंतरिम बजट में कर्ज का ब्याज दिए जाने की समय सीमा को छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। यह 31 मार्च 2009 से बढ़ाकर 30 सितंबर 2009 कर दिया गया है।
नानावटी का कहना है कि इससे केवल उन कारोबारियों को फायदा होगा, जिन्होंने इस तरह के सौदे किए हैं। इससे नया कारोबार करने में या नए समझौते करने के मामलों में कोई मदद नहीं मिलेगी।
जेम्स ऐंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल के क्षेत्रीय संयोजक चंद्रकांत सांघवी का कहना है कि समय सीमा 30 सितंबर 09 तक के लिए बढ़ाई है, इसे आगे और भी बढ़ाया जाना चाहिए।
मिली निराशा
अंतरिम बजट में राहत पैकेज न मिलने से हीरा उद्योग चिंतित राहुल गांधी से मदद का आश्वासन मिलने के बाद कारोबारियों और कामगारों को थी आस (BS HIndi)
19 फ़रवरी 2009
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