19 फ़रवरी 2009
अगले साल रबर किसानों की हालत सुधरेगी
कोट्टायम: रबर किसानों को जल्द राहत नहीं मिलेगी। रबर बोर्ड का कहना है कि आर्थिक मंदी की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में रबर उत्पादों की मांग कम हो गई है। बोर्ड के मुताबिक, साल 2010 तक रबर किसानों के लिए हालात जरूर बेहतर होंगे। बोर्ड के चेयरमैन सेजन पीटर के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में रबर की कीमतें अनिश्चितता के दौर से गुजर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय आर्थिक माहौल की वजह से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में रबर उत्पादन पर असर पड़ा है। पीटर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय रबर स्टडी सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल रबर की खपत में 3.3 फीसदी की गिरावट आ सकती है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगले साल रबर की खपत में 7.7 फीसदी का इजाफा भी हो सकता है। पीटर के मुताबिक, रबर सेक्टर की समस्याओं को अधिकारियों के सामने रखा गया है। उन्होंने कहा कि रबर किसानों की हालात सुधारने के लिए बुनियादी काम करने की जरूरत है। साथ ही, आधा हेक्टेयर के भी कम जमीन वाले 10 लाख रबर किसानों की समस्याओं को सुलझाने की कोशिशें करनी होंगी। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों में रबर उत्पादकों के मुकाबले देश के रबर उत्पादकों की हालात कुछ बेहतर हो रही है। ज्यादा उपज वाले बीज और उच्च तकनीक के इस्तेमाल से भारतीय रबर उत्पादकों को काफी मदद मिली है। पीटर ने कहा कि रबर की कीमतों में पिछले कुछ सालों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है। इसकी वजह कच्चे तेल की कीमतों में आया उतार-चढ़ाव रहा है। पीटर ने कहा कि ग्लोबल मंदी की चपेट में सबसे पहले आने वाले सेक्टरों में रबर है। इस वजह से केरल के रबर किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। (ET Hindi)
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