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17 फ़रवरी 2009

अगली सरकार के हवाले सुधार

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को लोक सभा में आगामी वित्त वर्ष (2009-10) का अंतरिम बजट पेश करते समय कई बार यह बात कही कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर देश के सामने यह असाधारण समय है। लेकिन इस असाधारण समय में उम्मीद लगाये बैठे उद्योग जगत और आम आदमी को प्रणब के अंतरिम बजट ने निराश ही किया है। आम चुनावों से पहले पेश इस अंतरिम बजट में उन्होंने पिछले चार साल की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार की उपलब्धियों की गाथा को पेश करने में ही अधिकांश समय लगा दिया। उन्होंने न कोई कर कटौती की और न ही कर प्रावधानों में कोई बदलाव किया। अलबत्ता उन्होंने अनुत्पादक खर्च की डोर को इतना ढीला छोड़ दिया कि आम चुनावों के बाद आने वाली सरकार की पहली प्राथमिकता इस संकट से पार पाना ही होगी। इसका महंगाई और ब्याज दरों पर दूरगामी असर पड़ सकता है।आगामी साल के बजट में 9,53,231 करोड़ रुपये के व्यय का प्रावधान किया गया है। इसमें 2,85,149 करोड़ रुपये का आयोजना व्यय है जो चालू साल के संशोधित अनुमान से मात्र 3000 करोड़ रुपये अधिक है। गैर-आयोजना व्यय 6,68,082 करोड़ रुपये का है। वित्त सचिव अरुण रामनाथन के मुताबिक आगामी साल के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर सात फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया गया है। लेकिन अगर इसमें गिरावट आती है तो राजस्व के अनुमान गड़बड़ा सकते हैं। विकास दर सात फीसदी पर रहने के लिए कृषि क्षेत्र की चार फीसदी की दर को एक बड़ा आधार बनाया गया है जो फिलहाल असंभव दिख रही है। उसी तरह मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की खस्ता हालत को देखते हुए विकास दर का लक्ष्य वास्तविक प्रतीत नहीं होता है।बजट में आयोजना व्यय को चालू वित्त वर्ष (2008-09) के प्रावधानों तक ही सीमित रखा गया है। हालांकि यह चालू साल के बजटीय प्रावधान से अधिक है क्योंकि इसमें अर्थव्यवस्था को संकट से निकालने के लिए दिसंबर और जनवरी में घोषित राहत पैकज के प्रावधानों को जोड़ दिया गया है। बजट में व्यय प्रावधान के पीछे राजकोषीय घाटे की कड़वी सचाई है। इसे देखकर साफ लगता है कि सरकार ने राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम) के प्रावधानों को छोड़ दिया है। चालू साल में राजकोषीय घाटा जीडीपी के छह फीसदी पर रहने का अनुमान है जबकि इसके लिए बजटीय प्रावधान 2.5 फीसदी था। आगामी साल के लिए इसे जीडीपी के 5.5 फीसदी पर रखा गया है जिसे मौजूदा माहौल में एक आशावादी लक्ष्य माना जाएगा। एफआरबीएम के तहत इसे 2009-10 में जीडीपी के दो फीसदी पर लाया जाना था। चालू साल में राजस्व घाटा एक फीसदी के बजट अनुमान के मुकाबले बढ़कर 4.4 फीसदी पर रहने का अनुमान है। वित्त मंत्री ने भी स्वीकार किया है कि एफआरबीएम के लक्ष्यों को अभी हमें छोड़ना पड़ेगा क्योंकि यह असामान्य स्थिति है। बजट में कर राजस्व को 6,09,551 करोड़ रुपये पर रखा गया है जो चालू के बजटीय अनुमान के करीब ही है। चालू साल में राजस्व संग्रह बजट अनुमान से 40,762 करोड़ रुपये कम है। आगामी साल के बजट में राजकोषीय घाटा 3,32,835 करोड़ रुपये रखा गया है। लेकिन अगर विकास दर कम रहती है तो राजस्व में कमी के चलते इसका बढ़ना तय है। यानी आने वाली सरकार को पहले से ही एक बड़ा बोझ मिलेगा। इसकी फंडिंग के लिए सरकार जो भी रास्ता अपनाएगी उसका असर जनता पर पड़ेगा। अगर सरकार नोट छापती है तो इससे मुद्रास्फीति बढ़ेगी। अगर बाजार से उधार पर निर्भर करती है तो उसका असर ब्याज दरों को बढ़ाने पर पड़ेगा।राजकोषीय और राजस्व घाटे को जायज ठहराते हुए वित्त मंत्री ने कहा है कि यूपीए सरकार का मानना है कि सार्वजनिक व्यय में बढ़ोतरी से रोजगार के अवसर और मांग में बढ़ोतरी होगी जो अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद करेगी। वित्त मंत्री ने मुंबई आतंकी हमले को सीमा पार आतंकवाद का नया रूप बताते हुए रक्षा के लिए आवंटन बढ़ाने का प्रस्ताव किया। उन्होंने 1,41,703 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। लेकिन सचाई यह है कि सेना के साजोसामान की खरीदारी के लिए पूंजीगत व्यय का संशोधित अनुमान बजट अनुमान से 8000 करोड़ रुपये कम रहा है। बजटीय अनुमान के मुकाबले आगामी साल में इसमें केवल 6000 करोड़ रुपये की ही बढ़ोतरी की गई है। वित्तीय तंगी के बावजूद प्रणब ने यूपीए सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रमों पर खर्च में कोई कटौती नहीं की है जबकि कुछ में बढ़ोतरी की है। उन्होंने यूपीए सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में शुमार की जा रही राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए 30,100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।सर्वशिक्षा अभियान के लिए 13,000 करोड़ और मध्या±न भोजन योजना के लिए 8000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। एकीकृत बाल विकास योजना के लिए 6705 करोड़ रुपये और जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन के लिए 11,842 करोड़ रुपये रखे गए हैं, जो चालू साल से 42 फीसदी अधिक है। राजीव गांधी पेयजल मिशन के लिए 7400 करोड़ और संपूर्ण ग्राम स्वच्छता कार्यक्रम के लिए 1200 करोड़ रुपये दिये गए हैं और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लिए 12,070 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। भारत निर्माण के तहत ग्रामीण ढांचागत सुविधाओं- सड़क, टेलीफोन, विद्युतीकरण, पेयजल आपूर्ति और ंिसंचाई सुविधाओं के लिए 40,900 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके लिए उन्होंने अपने बजट भाषण की समाप्ति में वोटरों को संदेश देने के लिए मनमोहन सिंह के उन शब्दों को चुना जो उन्होंने 1996-97 का अंतरिम बजट पेश करते समय 28 फरवरी, 1997 को कहे थे।तब मनमोहन सिंह ने कहा था- मुझे कोई संदेह नहीं है कि जब लोग नई सरकार का चुनाव करने के लिए मताधिकार का उपयोग करेंगे तो वह उस हाथ को ध्यान में रखेंगे जिस हाथ ने देश को और उनको शांति, समृद्धि के मार्ग पर ले जाने का काम किया है। ठीक यही प्रणब मुखर्जी के भाषण के अंतिम शब्द हैं। लेकिन उस 1996 के अंतरिम बजट के बाद कांग्रेस की सरकार में वापसी नहीं हुई थी। इस बार यह हाथ प्रणब और कांग्रेस का कितना साथ देता है यह चुनावों के बाद ही पता लगेगा। (Business Bhaskar)

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