इस्पात मंत्रालय का आयात शुल्क वर्तमान 5 प्रतिशत से ज्यादा करने का सुझाव
बीएस संवाददाता / नई दिल्ली February 18, 2009
घरेलू इस्पात उद्योग को सस्ते आयात से सुरक्षित रखने के खयाल से इस्पात मंत्रालय ने इस्पात का आयात शुल्क वर्तमान 5 प्रतिशत से अधिक बढ़ाए जाने का सुझाव दिया है।
इस्पात के आयात शुल्क में ठीक-ठीक कितनी बढ़ोतरी का सुझाव दिया गया है इसका जिक्र नहीं करते हुए इस्पात मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि इस्पात उद्योग ने 15 प्रतिशत आयात शुल्क की मांग की है।
पासवान ने एक इस्पात सम्मेलन में आज कहा, 'घरेलू मांग में कमी आने के अतिरिक्त भारतीय उत्पादकों को सस्ते आयात से भारी वैश्विक प्रतिस्पध्र्दा जैसी समस्या से जूझना पड़ रहा है। अक्टूबर में लगाया गया पांच प्रतिशत का आयात शुल्क पर्याप्त नहीं है।'
महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता टिकाऊ के खपत की मांग घटने से पिछली तिमाही से इस्पात उद्योग बुरे दौर से गुजर रहा है। घरेलू इस्पात उत्पादकों ने कम मांग को देखते हुए उत्पादन में 25 प्रतिशत तक की कटौती की थी। सेल, टाटा स्टील और जेएसडब्ल्यू जैसे प्रमुख उत्पादकों ने 31 दिसंबर को समाप्त हुई तिमाही के लाभ में भारी गिरावट दर्ज की है।
हालांकि, अब परिस्थितियों में सुधार हो रहा है और कीमतें कम होने के बावजूद कंपनियां सामान्य उत्पादन का रुख कर रही हैं। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एस के रूंगटा ने बताया, 'हम भाग्यशाली हैं कि उद्योग को वैसे बुरे दिन नहीं देखने पड़े जिससे विकसित देशों को रुबरू होना पड़ा है। विकसित देशों में उत्पादन में 40 फीादी तक की कटौती की गई है।'
इस्पात पर आयात शुल्क लगाने के अतिरिक्त सरकार ने निर्यात शुल्क समाप्त कर दिया (माइल्ड स्टील स्क्रैप अपवाद रहा), निकल का आयात शुल्क घटा दिया, इस्पात के निर्यात पर डीईपीबी लाभों को पूर्ववत कर दिया और आयातित टीएमटी बार और स्ट्रक्चरल्स पर काउंटरवेलिंग डयूटी फिर से लगा दी है।
इस्पात सचिव पी के रस्तोगी ने कहा, 'मंत्रालय हालात पर निगाह बनाए हुए है... जब कभी उद्योग को सहायता की जरूरत होगी पर्याप्त उपाय किए जाएंगे।'
अर्न्स्ट ऐंड यंग द्वारा भारतीय इस्पात उद्योग पर आज जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, उद्योग के निकट भविष्य का परिदृश्य चुनौतीपूर्ण है क्योंकि महत्वपूर्ण उपभोक्ता उद्योगों का विकास प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2009 में कीमतें घटने का अनुमान है क्योंकि अनुमानित खपत के स्तर में गिरावट जारी है।
उम्मीद जगी
घरेलू इस्पात उद्योग को सस्ते आयात से सुरक्षित रखने के लिए दिया सुझावघरेलू मांग में कमी की वजह से भारतीय उत्पादकों को मिल रही है वैश्विक प्रतिस्पर्धामांग में कमी को देखते हुए उत्पादकों ने की थी उत्पादन में कटौती (BS Hindi)
19 फ़रवरी 2009
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