मुंबई February 18, 2009
सोने की कीमतें साल 2007 में सेंसेक्स की तेजी को दोहरा रही हैं। साल 2007 की समाप्ति के समय सेंसेक्स में सप्ताह और पंद्रह दिनों के भीतर 1000 अंकों की बढ़त होते देखी गई थी।
एक महीने से भी कम समय में सोने की कीमतों में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और स्थानीय बाजार में इसका कारोबार 15,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर किया जा रहा है। सोने की कीमतों में में भारी बढ़त के साथ ही भारतीय कमोडिटी एक्सचेंजों पर सोने के वायदा में ओपन इंटरेस्ट में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है।
एमसीएक्स पर सोने के वायदा कारोबार में ओपन इंटरेस्ट वर्तमान महीने में बढ़ कर 24,000 अनुबंधों का हो गया जबकि जनवरी में ओपन इंटरेस्ट की संख्या 15000 से 20000 और साल 2008 में 8000 से 10000 के बीच थी।
कीमत बढ़ने के साथ-साथ ओपन इंटरेस्ट में होती बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि बाजार सोने को लेकर आशावादी है और साथ ही यह भी दर्शाता है कि सटोरियों की गतिविधियां तेज हो रही हैं। सोने की कीमतों में कई कारणों से तेजी आई है।
पश्चिमी देशों और जापान के मंदी के चपेट में आने से सभी अन्य परिसंपत्ति वर्गों का प्रदर्शन खराब होने से निवेशकों और हेज फंडों ने सोने को निवेश का सुरक्षित विकल्प समझा। रुपये के मूल्य में आई गिरावट ने सोने की कीमतों के लिए आग में घी का काम किया। रुपये का मूल्य कम होने से भारत में सोने की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जाती है।
कॉमट्रेंड्ज रिस्क एडवाइजरी फर्म के निदेशक टी गणसेकर ने कहा, 'मंदी के विरूध्द हेजिंग के तौर पर सोने में निवेश किया जा रहा है। साथ ही विभिन्न प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा से महंगाई बढ़ने के अनुमान हैं। दोनों परिस्थितियों में सोना एक अच्छा विकल्प (हेज) है।'
ऐसे समय में निवेशक को क्या करना चाहिए? खरीदारी करें या भी लाभ अर्जित कर बाजार से निकल लें? गणसेकर कहते हैं, 'सोना केवल निवेश ही नहीं है। यह मूल्य को सुरक्षित रखता है। जब अन्य सभी परिसंपत्ति वर्ग पूंजी या प्रतिफल को सुरक्षित रखने में विफल होते हैं तो सोना मूल्य को सुरक्षित रखने के लिए पारंपरिक तौर पर जाना जाता है।'
प्रतिफल के बारे में पूछना बिल्कुल वैसा ही है जैसे सेंसेक्स के 16,000 पर होने पर क्या करना चाहिए था। गोल्ड ईटीएफ में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी निवेश किया जा रहा है। हेज फंडों के अलावा, व्यक्तिगत तौर पर भी लोग सोने की खरीदारी भौतिक परिसंपत्ति के तौर पर कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोग सोने की व्यक्तिगत खरीदारी उतनी नहीं करते जितनी भारतीय करते हैं और भारत में व्यक्तिगत मांग बढ़ने से कीमतों में इजाफा हो रहा है। भारतीय बाजार में व्यक्तिगत तौर पर सोना या आभूषण बेच कर लाभार्जन या नकदी प्राप्त किया जाता रहा है।
हाल के महीनों में सोने के आयात में कमी आई है। ऐसा माना जा रहा है कि जनवरी में मात्र 20 टन सोने का आयात किया गया। सर्राफा शोध फर्म जीएफएमएस के आंकड़ों के अनुसार साल 2007 में भारत ने 862 टन सोने का आयात किया था जबकि साल 2008 में 70 टन सोने का आयात हुआ। (BS Hindi)
19 फ़रवरी 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें