03 फ़रवरी 2009
कृषि उपज की मूल्य स्थिरता के लिए फंड बनाने की मांग
किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलना सुनिश्चित करने के लिए देश भर के किसान संगठनों ने राष्ट्रीय मूल्य स्थिरीकरण कोष (प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड) के गठन की मांग की है। जिसका उपयोग कृषि जिंसों के दामों में भारी गिरावट के अवसर पर खरीद के लिए किया जा सके। ताकि मूल्यों में बेलगाम गिरावट न हो।गौरतलब है कि देश भर के कई किसान संगठनों ने नेशनल एलायंस ऑफ फारमर्स एसेसिएशन (एनएएफए) के बैनर तले एकत्रित होकर केंद्र सरकार से यह मांग की । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस एक दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन श्रम व रोजगार मंत्री आस्कर फर्नाडिस ने किया। दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित इस सेमिनार में देश भर से आए किसानों ने भाग लिया। इस सेमिनार में केंद्र सरकारउ से किसानों को उनकी फसल की लाभ सुनिश्चित करने की मांग की गई है। इसके लिए देश में होने वाली सभी फसलों के लिए राष्ट्रीय मूल्य स्थिरीकरण कोष का गठन किया जाये। एनएएफए के संरक्षक और कृषि एवं लागत मूल्य आयोग (सीएसीपी) के पूर्व चेयरमैन डा. टी. हक ने इस अवसर पर कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि किसानों को उनके उत्पाद पर लाभ मिले। इसके लिए स्थिरीकरण कोष की स्थापना की जानी चाहिए। इसके अलावा किसानों को ब्याज मुक्त लोन दिया जाना चाहिए। जिससे वे खेती की आधुनिकतम तकनीकें अपना सकें। उन्होंने कहा कि विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना के लिए कृषि भूमि का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देना चाहिए। डॉ. हक ने कहा कि सरकार को चाहिए कि सरकारी कर्मचारियों को वेतन और महंगाई भत्ते से संबंधित मिलने वाली सुविधाओं के समान ही किसानों की आय को भी संरक्षित किया जाए। एनएएफए के सचिव अनिल सिंह ने कहा कि यदि सरकार हमारी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं करती है तो अगले महीने हम देश भर में किसान चेतावनी रथ यात्रा का आयोजन करेंगे। जिस किसी भी फसल का उत्पादन बढ़ता है तो किसानों को कई बार उसकी लागत भी वसूलनी मुश्किल हो जाती है। हाल ही में सोयाबीन और आलू इस हालात का जिता जागता प्रमाण है। इसके अलावा मोटे अनाजों में मक्का और बाजरा में भी इस साल यही हाल रहा। इन जिंसों की बुवाई के दौरान भाव तेज थे। लिहाजा बीज और खाद पर ज्यादा खर्च बैठा। लेकिन फसल के समय मंडियों में कीमतें काफी तेजी से गिरी है। जिससे लागत निकालना मुश्किल हो गया है। (Business Bhaskar)
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