कोच्चि February 17, 2009
वैश्विक अर्थव्यवस्था में छाई मंदी का असर प्राकृतिक रबर आधारित उद्योगों पर भी पड़ा है। इसकी घरेलू खपत में दिसंबर -08 और जनवरी-09 के बीच औसतन 8 प्रतिशत की गिरावट आई है।
इसकी कुल खपत दिसंबर 2008 में गिरकर 66,000 टन रह गई है, जबकि 2007 के इसी महीने में 73100 टन रबर की खपत हुई थी। इस तरह से खपत में 10 प्रतिशत के करीब गिरावट दर्ज की गई है।
इसी तरह से जनवरी-09 में रबर की कुल खपत में 5.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। रबर बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-09 में रबर की कुल खपत 67,000 टन रही, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी खपत 71,010 टन रही थी।
इसका परिणाम यह हुआ है कि 31 जनवरी 09 को इसका कुल स्टॉक बढ़कर 241,000 टन हो गया है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका स्टॉक 225,000 टन था। यह हाल के वर्षों में रबर का सबसे ज्यादा स्टॉक है।
विश्लेषकों के मुताबिक इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि प्राकृतिक रबर के उत्पादन के स्तर पर गंभीर संकट की स्थिति है, क्योंकि इसकी खपत में कमी आ रही है और बाजार में कीमतें कम सकती हैं।
मुख्य रूप से ऐसा इसलिए हो रहा है कि टायर निर्माण क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहा है। पिछले 6-8 महीनों में तैयार माल की बिक्री में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। विभिन्न टायर कंपनियों के सूत्रों के मुताबिक हाल के महीनों में ओरिजिनल इक्विपमेंट (ओई) सेग्मेंट में 70-80 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
टायरों के निर्यात पर भी बहुत ज्यादा असर पड़ा है और अप्रैल-दिसंबर के बीच इसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 16 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि रिप्लेसमेंट सेग्मेंट पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
कंपनियों ने विभिन्न कारणों, जैसे संयंत्रों की मरम्मत आदि दिखाकर 5-10 दिनों तक उत्पादन रोका है। कुछ संयंत्रों में तो संकट को देखते हुए ताले पड़ गए हैं। इन सब कारणों से पिछले महीनों में रबर की खपत में खासी गिरावट आई है। (BS Hindi)
18 फ़रवरी 2009
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