14 फ़रवरी 2009
स्पॉट एक्सचेंज में कृषि जिंसों में भी ऑनलाइन कारोबार
नेशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) में कुछ दलहन और ग्वार सीड में ऑनलाईन कारोबार शुरू हो गया है। पिछले सप्ताह शनिवार को वायदा बाजार आयोग के अध्यक्ष बीसी खटुआ ने नेशनल स्पॉट एक्सचेंज में उड़द, तुअर और ग्वार सीड में ऑनलाईन कारोबार का उद्धाटन किया। गौरतलब है कि देश के पहले नेशनल स्पॉट एक्सचेंज में अब तक सर्राफा धातुओं में ऑनलाई कारोबार हो रहा था। लेकिन अब इसमें तुअर और उड़द जैसी दलहनों के साथ ग्वार सीड में भी कारोबार की सुविधा उपलब्ध रहेगी। शनिवार को इसकी घोषणा के अवसर पर एनएसईएल और पल्सेस इंपोटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (पीआईए) ने एक करार पर दस्तखत किए। इस करार के तहत दालों के कांट्रैक्ट टी+7 आधार पर कारोबार के लिए उपलब्ध रहेंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें डिलीवरी अनिवार्य होगी। वायदा कारोबार में डिलीवरी की समस्याओं से सबक लेते हुए इस तरह का नियम बनाया गया है। लॉट साइज दस टन है। जिसका भाव डिलीवरी सेंटर मुंबई में एक्स-वेयरहाउस, जिसमें आयात शुल्क, मंडी सेस सहित सेल्स टैक्स/वैट को शामिल नहीं होगें। स्पॉट एक्सचेंज में इन कृषि जिंसों में सप्ताह के दौरान सोमवार से शुक्रवार तक सुबह दस बजे से शाम छह बजे तक और शनिवार को सुबह दस बजे से दोपहर दो बजे तक कारोबार हो सकेगा। गैर कृषि जिंसों में सुबह दस बजे से रात के साढ़े ग्यारह बजे तक कारोबार करने की सुविधा रहेगी। इस मौके पर वायदा बाजार आयोग के अध्यक्ष बीसी खटुआ ने कहा कि इस करार से पीआईए के सदस्यों को ऑनलाइन भाव और घटबढ़ की जोखिम के बचने के लिए एनएसईएल का एक तटस्थ एवं पारदर्शक मंच के तौर पर काम कर सकेगा। यहां पर कारोबारियों को हेंजिंग करने की भी सुविधा रहेगी। एनएसईएल के प्रबंध निदेशक तथा सीईओ अंजनि सिन्हा ने कहा कि दालों के कांट्रैक्टों को कारोबारियों को प्रभावी भाव जोखिम प्रबंधन साधन उपलब्ध कराने के हिसाब से तैयार किया गया है। एनएसईएल में दलहनों के कांट्रैक्टों के शुरू होने से कारोबारियों को पारदर्शक एवं विव्श्रसनीय कारोबार करने की सुविधा मिल सकेगी। । इन कांट्रैक्टों से आयातकों, दाल मिलरों, ट्रेडरों, हाजिर बाजार के सहभागियोें, कारपोरट और सरकारी एजेंसियों जैसे एमएमटीसी, नाफेड, एसटीसी, पीईसी जो दालों के आयात से जुड़ी है, को फायदा हो सकेगा।पीआईए के अध्यक्ष के.सी. भरतीया ने एनएसईएल के साथ जुड़कर प्रसन्नता व्यक्त कि और कहा कि एनएसईएल एक महीने के अंदर चार कांट्रैक्ट शुरू करगा। इस करार से न केवल कृषि क्षेत्र बल्कि उद्योग जगत के कारोबारियों को बड़े पैमाने पर लाभ मिलेगा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार दालों के बढ़े भावों के लिए सरकार हमेशा कारोबारियों और वायदा बाजार को जिम्मेदार ठहराती रही है। जबकि सरकार को दालों के उत्पादन को बढ़ाने की कोशिया करनी चाहिए। दलहनों के वायदा कारोबार पर लगे प्रतिबंध के बार में श्री खटुआ ने कहा कि पिछले महीने से घरलू बाजारों में दालों की कीमतों में काफी कमी आई है। ऐसे में प्रतिबंध को लेकर अगले माह समीक्ष की जाएगी। समीक्षा रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार कोई निर्णय लेगी। बढ़ती महांगाई का हवाला देकर केंद्र सरकार ने आलू, चना, रबर और सोया तेल के वायादा कारोबार पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसकी मियाद सितंबर में पूरा होने के बाद सरकार ने प्रतिबंध को चार महीनों के लिए और बढ़ा दिया था। इससे पहले पिछले साल जनवरी में केंद्र सरकार ने उड़द और तुअर के साथ पिछले साल अप्रैल से गेहूं और चावल के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगा चुकी है। इस तरह से मौजूदा समय में आठ कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध जारी है। हालांकि इससे जुड़े अभिजीत सेन कमेटी की रिपरेट आने के बावजूद प्रतिबंध समाप्त नहीे हो सका है। पिछले साल केंद्र सरकार ने योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन की अध्यक्षता में महंगाई के लिए वायदा कारोबार कितना जिम्मेदार है का पता लगाने के लिए समीति का गठन किया था। (Business Bhaskar)
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