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12 फ़रवरी 2009

दाल की महंगाई से जल्द राहत की उम्मीद नहीं

मुंबई: खराब मौसम और उत्पादन क्षेत्र में गिरावट के कारण गर्मियों में पैदा की जाने वाली दालों के उत्पादन में और गिरावट आने की आशंका है। पिछले दो महीनों में दालों की कीमत में पहले ही 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। इन खबरों के बाद कीमतों में और बढ़ोतरी की आशंका बढ़ गई है। भारतीय किसान गर्मी या खरीफ सीजन में तूर, उड़द, और मूंग की खेती करते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, गर्मियों में पैदा की जाने वाली दालों की पैदावार 26.8 फीसदी गिरकर 47.2 लाख टन रह सकती है। भविष्य में कम उत्पादन की आशंका के चलते पिछले दो महीनों में प्रमुख बाजारों में दाल की कीमतों में 18-23 फीसदी का इजाफा हो चुका है। इस समय तूर की कीमत 3,500 रुपए प्रति क्विंटल, उड़द 3,200 रुपए प्रति क्विंटल और मूंग की कीमत 3,400 रुपए प्रति क्विंटल है। महाराष्ट्र के जलगांव के एक आयातक प्रेम कोगता का कहना है, 'कम आपूर्ति का असर सीधे तौर पर दालों के दाम पर पड़ रहा है। हाल में दाल की सप्लाई बढ़ने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में ग्राहकों पर इसकी महंगाई का बोझ बना रह सकता है।' मूंग की आवक समाप्त हो चुकी है तो तूर और उड़द की आवक हो रही है लेकिन पिछले साल के मुकाबले यह काफी कम है। कर्नाटक के गुलबर्ग में अभी प्रति सप्ताह 9,000 बैग तूर की आवक हो रही है। पिछले साल यह 20,000 बैग थी। गुलबर्ग के एक टेडर का कहना है, 'किसी भी हाजिर बाजार में ज्यादा सप्लाई नहीं है। सप्लाई को देखकर इसके उत्पादन में 30 फीसदी की गिरावट की आशंका है।' कुछ किसान ठंड में भी उड़द की खेती करते हैं और मार्च की शुरुआत में आंध्र प्रदेश से इसकी आवक शुरू हो सकती है। महाराष्ट्र के लातूर के एक ट्रेडर का कहना है कि ठंड की उड़द की फसल अच्छी है और इससे मांग-आपूर्ति के संतुलन को बनाने में कुछ हद तक मदद मिल सकती है। (BS Hindi)

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