नई दिल्ली February 06, 2009
सरसों, सोयाबीन व पाम तेल के समर्थन में मूंगफली तेल की कीमत में भी गिरावट का दौर जारी है।
गत 15 दिनों में मूंगफली तेल के भाव में 5 रुपये प्रति किलोग्राम तक की कमी दर्ज की गयी है। क्रूड पाम ऑयल (सीपीओ) के आयात पर कोई शुल्क नहीं लगाने की सरकारी मंशा जाहिर होने के बाद सभी तेलों में गिरावट का दौर जारी है।
कारोबारियों ने बताया कि गुजरात की मंडियों में मूंगफली तेल की कीमत दो सप्ताह के दौरान गिरावट के साथ 50 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर आ गयी है। दिल्ली की मंडी में मूंगफली तेल की कीमत 55 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास है।
सितंबर-अक्टूबर के दौरान मूंगफली तेल की कीमत 72-75 रुपये प्रति किलोग्रााम के स्तर पर थी। राजस्थान में मूंगफली बीज की कीमत इस सप्ताह 1811 रुपये प्रति क्विंटल रही जबकि जनवरी में यह कीमत 1900 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक थी। मूंगफली उत्पादन में राजस्थान का प्रमुख स्थान है।
माना जा रहा है कि सरसों तेल में आयी गिरावट के कारण मूंगफली तेल के बाजार में मंदी आ रही है। दूसरी बात यह है कि सरकार ने अब साफ तौर पर कह दिया है कि लोकसभा चुनाव के पहले सीपीओ के आयात पर कोई शुल्क नहीं लगने जा रहा है। इस कारण खाद्य तेल के बाजार पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ा है।
सीपीओ के दाम फिलहाल कांडला पोर्ट पर 27 रुपये प्रति किलोग्राम के आस-पास है। पोर्ट पर रखे गए हजारों टन सीपीओ भी बाजार में आने को तैयार है। ऐसे में खाद्य तेल बाजार में चढ़ाव के कोई संकेत नहीं है।
तेल कारोबारियों ने बताया कि उन्होंने सरकार से सीपीओ के आयात पर 20 फीसदी शुल्क लगाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने चुनाव तक अब इस प्रस्ताव को टाल दिया है। सरकार ने दो माह पहले सोयाबीन के कच्चे तेल के आयात पर 20 फीसदी शुल्क लगाने की घोषणा की थी।
सीपीओ के आयात पर कोई शुल्क नहीं है जबकि रिफाइन तेलों पर 7 फीसदी का आयात शुल्क है। कारोबारियों ने बताया कि सरसों तेल की कीमत बढ़ने की संभावना होने पर मूंगफली तेल में भी मजबूती के आसार हो सकते हैं। लेकिन सरसों का बाजार पहले से ही मंदा चल रहा है। सरसों तेल इन दिनों 52-53 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर है। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें