नई दिल्ली February 06, 2009
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज रबर कानून 1947 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इससे संबंधित रबर (संशोधन) विधेयक 2009 संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा।
कैबिनेट ने कहा कि संशोधित कानून में 'लघु उत्पादकों' की व्याख्या को बदला गया है जिसमें ऐसे लोगों को इस श्रेणी में रखा जाएगा जिनके पास 10 हेक्टेयर से अधिक की भूमि न
रबर इस्टेट के पंजीकरण प्लांटिंग अथवा रिप्लान्टिंग के प्रावधानों को हटा दिया गया है। 60 वर्ष पुराने रबर कानून को इससे पूर्व 1994 में संशोधित किया गया था। गृहमंत्री पी चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं को बताया कि रबर कानून 1947 के कुछ प्रावधान हाल के वर्षो में बेकार हो गए हैं।
रबर क्षेत्र में भी इन वर्षो में काफी परिवर्तन हुए हैं जो विशेषकर आर्थिक उदारीकरण के दौर के परिणामस्वरूप हुए हैं। मंत्रिमंडल ने कहा कि संशोधित कानून देश में उत्पादित अथवा निर्यात किए गए रबर पर किसी भी उपकर पर छूट अथवा कमी करने के लिए सरकार को अधिकार प्रदान करेगा बशर्ते कि वह सार्वजनिक हित के लिए आवश्यक हो।
बैठक में कहा गया कि संशोधन के कारण सरकार भारत में उत्पादित प्राकृतिक रबर और अप्रैल 1961 से 31 अगस्त 2003 के बीच निर्यात के लिए खरीदे गए रबर पर उपकर की दर शून्य पैसा प्रति किलो कर सकेगी।
कैबिनेट ने कहा कि संशोधित कानून बोर्ड को इस बात के लिए भी अधिकृत करेगा कि वह देश में खरीदे एवं प्रसंस्करण किए गए रबड़ के विभिन्न विपणनयोज्ञ स्वरूप तथा भारत में आयातित और निर्यात किए गए रबड़ उत्पादों के गुणवत्ता मार्किग लेबलिंग और पैकिंग के मानकों को लागू कर सके।
बैठक में बोर्ड को ताजा ऊर्जा देने के लिए मौजूदा 'जनरल फंड' और 'पूल फंड' के स्थान पर एकल फंड की व्यवस्था की गई है ताकि धन का आसान प्रवाह हो सके। इसमें कहा गया कि संशोधनों के कारण बोर्ड में सरकार का प्रतिनिधित्व हो सकेगा।
घाटे की भरपाई के लिए मदद
केंद्र सरकार ने आज सरकारी कपास खरीद एजेंसियों को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए पांच सौ करोड़ रूपए का अनुपूरक गैर योजना बजटीय अनुदान आवंटित किया।
खरीद एजेंसियों ने किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कपास की खरीद की थी लेकिन इससे उन्हें भारी घाटा उठाना पड़ा था।
गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि केंद्र ने घाटे की भरपाई के लिए चालू वित्त वर्ष में 500 करोड़ रुपये के अनुपूरक गैर योजना बजटीय अनुदान के आवंटन को मंजूरी प्रदान कर दी है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने अपनी प्रमुख खरीद एजेंसी काटन कार्पोरेशन आफ इंडिया से कहा है कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे गए कपास को बेचने के लिए भारी मात्रा में खरीद पर छूट की पेशकश करे जैसा कि महाराष्ट्र स्टेट कोआपरेटिव काटन ग्रोअर्स मार्केटिंग फेडेरशन करती आई है।
चिदम्बरम ने बताया कि यह अनुदान उस घाटे की भरपाई करने के लिए दिया जा रहा है जो किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए समर्थन मूल्य पर खरीद करने के चलते हुआ।
सरकार ने स्टेंडर्ड काटन (लांग स्टेपल) के एमएसपी में अच्छी खासी वृध्दि करते हुए इसे पिछले साल के 2030 रुपये प्रति क्विंटल की बजाय वर्ष 2008-09 में तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। इसी प्रकार मीडियम स्टेपल काटन के एमएसपी को 1800 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
मछली पालन क्षेत्र के विकास के लिए 746 करोड़ रुपये आवंटित
केंद्र सरकार ने आज 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) में नौवहन मत्स्य क्षेत्र तथा संबंधित ढांचागत क्षेत्र के विकास के लिए 746 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने का फैसला किया।
गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने आर्थिक मामलों संबंधी कैबिनेट की समिति (सीसीईए) की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने नौवहन मत्स्य पालन ढांचागत और फसल कटाई के बाद की गतिविधियों के विकास की केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना को जारी रखने संबंधी पशुपालन डेयरी और मत्स्य विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इसके लिए 11वीं योजना में 746 करोड़ रुपये की परिव्यय राशि निर्धारित की गई है। योजना के तहत परंपरागत मछुआरों को उनकी नौकाओं को स्वचालित बनाने के साथ सशक्त करने के लिए आवंटित धनराशि का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके साथ ही ईंधन पर उत्पादन शुल्क पर सब्सिडी प्रदान कर तथा समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा में सुधार कर लघु पैमाने पर मत्स्य क्षेत्र को सहायता प्रदान की जाएगी।
बैठक में यह निर्णय भी किया गया कि मछली पकड़ने के लिए दस नए बंदरगाहों तथा 30 फिश लैंडिंग सेंटर की स्थापना तथा मौजूदा 15 मछली पकड़ने के बंदरगाहों और फिश लैंडिंग सेंटरों की मरम्मत और उनके जीर्णोध्दार के साथ इस योजना के तहत ढांचागत सुविधाओं का भी विकास किया जाएगा।
इस योजना के तहत फसल कटाई के बाद की गतिविधियों केन्द्रीय मछली बाजारों फिश रिटेल आउटलेट कोल्ड स्टोरेज तथा परिवहन सुविधाओं की भी स्थापना की जाएगी। सीसीईए ने इसके साथ ही आयलसीड्स रिसर्च डायरेक्टरेट तथा आल इंडिया कोर्डिनेटिड रिसर्च प्रोजेक्ट आन सनफ्लावर और कैस्टर को भी जारी रखने का फैसला किया। (BS Hindi)
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