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05 फ़रवरी 2009

ऊंचे तापमान से गेहूं की फसल के लिए अभी कोई खतरा नहीं

भले ही हमें इन दिनों तापमान सामान्य से ज्यादा लग रहा हो लेकिन मौजूदा तापमान गेहूं की फसल के लिए एकदम उपयुक्त है। अगर गर्मी सामान्य से और ज्यादा बढ़ती है तो जरूर फसल को नुकसान हो सकता है। इस समय गेहूं की फसल को अच्छी बारिश की जरूरत है।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप निदेशक ए. के. सिंह ने बताया कि दिसंबर में मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों का तामपान बढ़ने गेहूं के पौधे का विकास थोड़ा प्रभावित हुआ थी। लेकिन जनवरी में तापमान गिरने से स्थिति सामान्य हो गई है। अभी तक गेहूं की फसल को कोई नुकसान नहीं हुआ है। फसल के लिए आने वाले दो हफ्ते बेहद महत्वपूर्ण है। यदि तापमान में और बढ़ोतरी होती है तो उत्पादन में कमी हो सकती है। गेहूं उत्पादक राज्यों में इस समय दिन का तापमान फ्क्-फ्फ् डिग्री अैर रात का तापमान 8-9 डिग्री सेल्सियस चल रहा हैं। विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं की फसल के लिए यह तापमान अनूकुल है। अगर इस माह आने वालो दिनों में एक से दो बार बारिश हो जाती है तो फसल को फायदा होगा।। इससे उत्पादन भी अच्छा होने की संभावना होगी।उत्पादक राज्यों में गेहूं की फसल में बाली निकलनी शुरू हो गई है। लेकिन हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के पहाड़ों पर बर्फबारी होने पर पड़ी राज्य पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तापमान नियंत्रित रहेगा। इन राज्यों में तापमान बढ़ने पर गेहूं की फसल को नुकसान होने की संभावना नहीं है। गेहूं अनुसंधान निदेशालय करनाल के परियोजना निदेशक डा. जग सोरन ने बिजनेस भास्कर को बताया कि पिछले कुछ समय से मौसम में आ रहे बदलाव के कारण गेहूं उत्पादन का अनुमान बदल रहा हैं। तापमान बढ़ने से समय पर पहले गेहूं के पौधे में बालियां निकलनी शुरू हो गई है। लेकिन किसानों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है। इस समय तापमान फसल के अनुकूल चल रहा है। अगर इस माह में एक से दो सेंटीमीटर की बारिश हो जाए। ख्म् मार्च के आसपास एक बरसात और हो जाए तो उत्पादन के लिए अच्छा होगा। लेकिन अगर बरसात नहीं होती है और तापमान में बढ़ोतरी होती है तो गेहूं का उत्पादन कम हो सकता है। ऊंचे तापमान से देरी से बोई गई फसल में बाली जल्दी निकलेगी तथा दाने छोटे, सिकुडे हुए होंगे। अगेती बोई गई फसल में बाली का आना बहुत ही अच्छा हैं क्योंकि इस समय तापमान फसल के अनूकुल है। अगर दिन का तापमान फ्फ्-फ्ब् डिग्री सेल्सियस रहे और रात का तापमान भी ख्क् डिग्री से कम रहता है तो इससे बालियों में दाना बनने का समय ज्यादा होगा व पौधे क ा विकास अच्छा होगा। दाने बनने को कम से कम भ्म् दिन का समय मिलना चाहिए। चालू फसल सीजन में देश में गेहूं के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। गेहूं उत्पादन पिछले साल के बराबरनई दिल्ली। एग्रीकल्चर कमिश्नर एन. बी. सिंह के अनुसार देश में गेहूं का उत्पादन 784 लाख टन के करीब ही रह सकता है जो पिछले साल के बराबर ही होगा। गेहूं के उत्पादन के बारे में कमिश्नर ने कहा कि इस बार उत्पादन पिछले साल के बराबर ही रह सकता है। वर्ष 2007-08 में गेहूं का उत्पादन 784 लाख टन था। पहले सरकार का अनुमान था कि इस साल गेहूं का रिकार्ड उत्पादन हो सकता है। इस साल गेहूं की बुवाई पिछले साल के मुकाबले 2 लाख हैक्टेयर बढ़कर 275 .5 लाख हैक्टेयर में हुई है। उन्होंने कहा कि इस समय ताममान पिछले साल के मुकाबले थोडा ज्यादा है किन्तु इससे किसी भी फसल कोई नुकसान नहीं हुआ है। (Business Bhaskar)

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