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16 फ़रवरी 2009

खाद्य तेलों का रिकॉर्ड आयात सरसों उत्पादकों पर पड़ेगा भारी

पिछले तीन महीनों के दौरान देश में खाद्य तेलों का रिकॉर्ड आयात हुआ है। जबकि उत्पादक राज्यों में सरसों की नई फसल की आवक शुरू हो गई है। पिछले वर्ष अच्छे भाव मिलने के कारण ही चालू सीजन में किसानों ने सरसों की बुवाई ज्यादा क्षेत्रफल में की है। अत: सरसों की पैदावार में भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी होने की संभावना है। ऐसे में पिछले वर्ष ऊंचे भावों में सरसों बेचने वाले किसानों को चालू सीजन में शायद ही वाजिब दाम मिल पाएं।दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिशन के सचिव हेंमत गुप्ता ने बिजनेस भास्कर को बताया कि नवंबर से जनवरी तक देश में खाद्य तेलों का आयात बढ़कर 2,094,847 टन का हुआ है। जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 1,081,703 टन ही हुआ था। विदेशों में भाव सस्ता होने और आयातित तेलों पर आयात शुल्क लगने की संभावना के कारण ही आयातकों ने इस दौरान भारी मात्रा में आयात किया है। घरेलू बाजारों में सरसों की नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है तथा सरसों की पैदावार में भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। ऐसे में सरसों की आवक का दबाव बनने पर मार्च-अप्रैल महीने में उत्पादक मंडियों में दाम घटकर 2000 से 2100 रुपये प्रति क्विंटल रह सकते हैं। पिछले सीजन में मार्च-अप्रैल में उत्पादक मंडियों में सरसों 2700-2800 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर ही बिकी थी।खाद्य तेल संगठनों के अनुसार वर्ष 2008-09 में देश में सरसों की पैदावार पिछले साल के 50 लाख टन से बढ़कर 64 लाख टन होने की संभावना है। आमतौर पर देश में सरसों की सालाना खपत 70 लाख टन रहने का अनुमान है। हालांकि पिछले वर्ष पैदावार में काफी कमी आई थी। लेकिन सरसों तेल के भाव ऊंचे होने और अन्य खाद्य तेलों के भाव नीचे रहे। खाद्य तेलों के रिकार्ड आयात के कारण चालू वर्ष में सरसों तेल के भाव भी नीचे ही रहेंगे। इसलिए सरसों किसानों को पिछले वर्ष वाले भाव मिलना मुश्किल है। अलवर के सरसों व्यापारी संजय अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर एक से सवा लाख बोरियों की हो गई है।इन मंडियों में कंडीशन की नई सरसों की कीमतें घटकर 2400 और पुरानी के 2450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। पिछले तीन-चार दिनों में इसमें करीब 150 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आ चुका है। मार्च में हरियाणा में भी नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी। इसलिए मार्च-अप्रैल में उत्पादक मंडियों में आवक बढ़कर चार से पांच लाख बोरियों की हो जाएगी जिससे भावों में गिरावट की संभावना है। दिल्ली के सरसों व्यापारी अशोक कुमार ने बताया कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की बिकवाली बढ़ने से यहां कंडीशन की नई सरसों के भाव घटकर 2475 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं लेकिन इन भावों में मांग काफी कमजोर है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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