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16 फ़रवरी 2009

मुंबई: सोने में निवेशकों के लगातार बढ़ रहे रुझान ने इसकी कीमतों में उछाल पैदा कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले पूरे हफ्ते में सोने के भाव में

पुणे: ऑर्गेनिक गुड़ बेहतर सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। हालांकि, गुड़ के कारोबार को पिछले कुछ समय से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। गुड़ बनाने वालों को नहीं पता है कि वे इसे कहां बेचें। ग्राहकों को यह नहीं पता है कि इसे कहां से खरीदा जाए। इसी तरह से सरकार के पास गुड़ के बाजार को बढ़ावा देने के लिए न तो वक्त है न ही संसाधन। ऑर्गेनिक गुड़ बनाने की जलगांव के पद्माकर चिंचोले की कोशिशें भी इस पारंपरिक उत्पाद से हो रही उपेक्षा की कहानी बन गई हैं। पारंपरिक तौर पर गुड़ को खुले बर्तनों में गन्ने के रस को उबाल कर तैयार किया जाता है। एक जंगली पेड़ के सत्व को गन्ने के रस को शुद्ध करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसी से गुड़ में गहरा भूरा रंग भी पैदा होता है। हालांकि पिछले कई सालों से इस ट्रेंड में बदलाव आया है और लोग सोडियम हाइड्रोसल्फाइड को रंग पैदा करने के लिए इस्तेमाल करने लगे हैं। इस रसायन के इस्तेमाल से गुड़ में चमकदार पीला रंग पैदा होता है। सोडियम हाइड्रोसल्फाइड एक ब्लीचिंग एजेंट होता है, जिसे औद्योगिक और गैर-खाद्य उत्पादों को तैयार करने में इस्तेमाल किया जाता है। यह इंसानों के लिए अच्छा नहीं माना जाता। चिंचोले अपने कृष्णा ऑर्गेनिक एग्रो प्रोडक्ट्स के जरिए ब्रांडेड मधुर गुड़ तैयार करते हैं। महाराष्ट्र में यह एकमात्र प्रमाणित ऑर्गेनिक गुड़ बनाने वाली इकाई है। महाराष्ट्र में गुड़ का सबसे ज्यादा उत्पादन और खपत होती है। राज्य में 4,500 गुड़ बनाने वाली इकाइयां हैं। इनसे सालाना कुल 4,500 टन गुड़ का उत्पादन होता है। चिंचोले ने साल 2000 में एक बाजार सर्वे किया था जिससे जरिए यह जानने की कोशिश की गई थी कि आखिर लोग गुड़ का सेवन क्यों नहीं करते हैं। चिंचोले बताते हैं, 'हमारे सर्वे से पता चला कि इसमें मिले हुए केमिकलों की वजह से गुड़ का इस्तेमाल घट रहा है। यह कड़ा होता है और इसका स्वाद अच्छा नहीं होता है। हम बिना केमिकल मिला हुआ और अच्छे रंग वाला गुड़ बनाने में समर्थ हैं।' कोल्हापुर के शाहूपुरी को गुड़ के कारोबार के केंद्र के तौर पर जाना जाता है। लेकिन यहां भी ऑर्गेनिक गुड़ की काफी कम इकाइयां हैं। शाहूपुरी में मौजूद श्री छत्रपति शाहू सहकार गुड़ खरीद-बिक्री संघ के अध्यक्ष राजाराम पाटिल कहते हैं, 'हमारे संघ के 1,000 सदस्यों में से 25 से भी कम ऑर्गेनिक गुड़ बनाते हैं। साथ ही इनमें से कोई भी प्रमाणित नहीं है।' (ET Hindi)

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