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03 फ़रवरी 2009

मंदी से और धूमिल होगी हीरे की चमक

मुंबई February 03, 2009
वैश्विक आर्थिक मंदी का भारतीय हीरा उद्योग पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ने वाला है। हीरे की तराशी के काम में अभी आगे और गिरावट के अनुमान हैं।
स्थानीय तराशी और पॉलिशिंग इकाइयों और उसमें काम करने वाले लोगों पर आने वाले दिन बहुत भारी पड़ सकते हैं। लंदन से डी बीयर्स समूह के प्रवक्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'इस समय उत्पादों की मांग को लेकर बड़ा बदलाव आया है।
हीरे के आयातक, डायमंड ट्रेडिंग कंपनी (डीटीसी) इस समय कम तराशी वाले बेहतरीन गुणवत्ता के कच्चे हीरे खरीदना पसंद कर रहा है। उन्होंने अमेरिकी बाजार के लिए मानव श्रम द्वारा तराशे गए हीरों की खरीद कम कर दी है।'
भारत में कुल कच्चे हीरे के पांचवें हिस्से की आपूर्ति डी बीयर्स करता है। मंदी को देखते हुए डीटीसी ने भी अब डायमंड साइट होल्डरों (लाइसेंसधारक आयातक) के साथ ही दूसरे कारोबारियों को भी सीधे हीरा बेचने की घोषणा की है। बेहतर गुणवत्ता वाले हीरों की आपूर्ति से हीरे की कीमतें 25 फीसदी तक और गिर सकती हैं और करीब दस फीसदी कारीगरों की और छंटनी हो सकती है।
दुनिया भर में लगभग 40 फीसदी रफ डायमंड की आपूर्ति करने वाली डीटीसी ने पहली बार इस तरह का कदम उठाया है कि बिना डीटीसी साइड होल्डर हुए कंपनी से हीरे की खरीददारी कोई भी कर सकता है। जनवरी महीने में कंपनी ने 80-100 लाख अमेरिकन डॉलर आय होने की उम्मीद लगाई थी।
यही उम्मीद दिसबंर 2008 में भी थी लेकिन खरीददारों की बेरुखी का आलम यह था की कंपनी अपने अनुमान का छठवां हिस्सा भी नहीं पहुंच पाई। पिछले 10 महीनों से कंपनी की बिक्री में लगातार कमी के चलते डीटीसी ने पहले रफ डायमंड की कीमतों में कमी की थी लेकिन इसके बावजूद स्थिति ज्यों का त्यों बनी रहने के कारण कंपनी की ओर से यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया है।
जेम्स एंड ज्वेलरी एसोसियशन के अध्यक्ष वसंत मेहता कहते हैं कि पहले से ही हीरा बाजार में काफी गिरावट आ चुकी है डीटीसी के इस फैसले के बाद हीरे की चमक और थोड़ा फीकी पड़ेगी। वही बेहतर गुणवत्ता (आकार और कटिंग) वाले हीरों की आपूर्ति होने से सबसे बुरा असर हीरा कटिंग का काम करने वाले लाखों कारीगरों पर पड़ने वाला है।
हीरा कारोबारी संजय शाह के अनुसार भारत में हीरा के कटिंग का ही तो काम होता है अगर डीटीसी कटिंग और ज्यादा बड़े आकार के हीरे देने लगेगा तो हीरा उद्योग में बेरोजगारों की संख्या और बढ़ जाएगी। संजय के अनुसार डीटीसी के इस फैसले से भारतीय हीरा उद्योग में काम करने वाले लोगों की संख्या में कम से कम 10-15 फीसदी की कटौती हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि छह महीने पहले तक देशभर में हीरा के कटिंग और पॉलिस का काम करने वाले लोगों की संख्या 15 से 16 लाख के आस-पास थी जो इस समय मुश्किल से 7-8 लाख लोग ही इस काम में हैं, बाकी की छंटनी कर दी गई है।
डीटीसी के एक साइड होल्डर के अनुसार पिछले एक साल में कंपनी के कारोबार में करीबन 90 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। डीटीसी का अपना एक पैमाना था जिसको तोड़कर कंपनी ने अपने स्तर को गिरा दिया है। अगर डीटीसी कटिंग या बड़े आकार के डायमंड की सप्लाई करेगा तो दूसरे विकल्प भी लोगों के पास खुले हैं।
एक साल पहले था एक कैरेट रफ डायमंड की औसत कीमत 250 अमेरिकन डॉलर थी जो इस समय 150 डॉलर प्रति करेंट पहुंच गई है। डीटीसी के अलावा रफ डायमंड सप्लाई करने वाली प्रमुख कंपनिया अलरोसा, बीएचपी बिलिटॉन, रीओ टिंटो और हैरी वेंस्टोन हैं। (BS Hindi)

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