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13 फ़रवरी 2009

वेजिटेबल ऑयल के आयात में 78 फीसदी की बढ़ोतरी

नई दिल्ली: वैश्विक बाजार में कम कीमतों और अधिक आयात शुल्क लगने की आशंकाओं को देखते हुए जनवरी में वेजिटेबल ऑयल के आयात में रिकॉर्ड 78 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। एक प्रमुख व्यापारिक संस्था का कहना है कि 15 साल पहले व्यापारिक नियमों को हटाने के बाद यह सबसे अधिक खरीदारी है। एक प्रमुख टेडर और व्यापारिक संगठन के पूर्व अध्यक्ष गोविंदभाई पटेल का कहना है कि पिछले महीने की अधिक खरीदारी के कारण फरवरी में कम आयात होने का अनुमान है, लेकिन फरवरी 2008 के मुकाबले यह 50 फीसदी अधिक रह सकता है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर बी वी मेहता का कहना है कि जनवरी में हुए आयात के कारण पेराई के पीक सीजन में घरेलू उद्योग को नुकसान पहुंच सकता है। चीन के बाद भारत वेजिटेबल ऑयल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। जनवरी में 9,12,342 टन वेजिटेबल ऑयल का आयात हुआ है। इसमें 8,56,690 टन खाद्य तेल का आयात शामिल है। व्यापारिक संगठन ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि नवंबर से शुरू होने वाले सीजन के पहले तीन महीनों में आयात 77.5 फीसदी बढ़कर 22 लाख टन हो गया है। 2008 में भारत ने क्रूड सोयाऑयल पर 20 फीसदी का आयात शुल्क लगाने की घोषणा की थी, लेकिन क्रूड पाम ऑयल पर कोई शुल्क न लगाने की उसने रणनीति जारी रखी। देश के कुल वेजिटेबल ऑयल आयात में क्रूड पाम ऑयल की हिस्सेदारी 90 फीसदी है। एक साल पहले के मुकाबले नवंबर से जनवरी के बीच रिफाइंड ऑयल का आयात 20 फीसदी बढ़कर 4,08,565 टन हो गया जबकि इसी दौरान क्रूड वेजिटेबल ऑयल के आयात में 96 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इस दौरान 17 लाख टन क्रूड वेजिटेबल ऑयल का आयात हुआ। विज्ञप्ति में कहा गया है कि 2002-03 के बाद पहली बार भारत ने 1,914 टन सरसों तेल की खरीदारी की। मेहता का कहना है कि सरसों तेल के आयात से घरेलू उद्योग को तो नुकसान पहुंचेगा ही साथ में सरसों की कीमतों पर भी असर पड़ेगा। एक अनुमान के मुताबिक, 2009 में देश में सरसों की पैदावार 35 फीसदी बढ़कर 65 लाख टन हो सकती है। सरसों से खाद्य तेल की 15-16 फीसदी मांग पूरी होती है। भारत अपनी सालाना 1.1 करोड़ टन की मांग का करीब आधा हिस्सा आयात करता है। इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम ऑयल तो ब्राजील और अर्जेंटीना से सोयाऑयल का आयात किया जाता है। (ET Hindi)

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