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13 फ़रवरी 2009

महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 17 फीसदी गिरा

पुणे: देश में चीनी का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले महाराष्ट्र में इस बार इसका उत्पादन 17 फीसदी गिर गया है। राज्य में अब तक केवल 38.35 लाख टन चीनी का उत्पादन हो सका है। इससे पिछले साल में इसी अवधि तक 46.55 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। राज्य में सहकारी चीनी मिलों की सबसे बड़ी संस्था, महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव शुगर फेडरेशन के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की 145 चीनी मिलों में अब तक 343 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है। पिछले साल इसी वक्त तक करीब 400 लाख टन गन्ने की पेराई हुई थी। गन्ना पेराई में आई गिरावट के अलावा राज्य में गन्ने से होने वाली औसत रिकवरी में भी इस साल गिरावट आई है। पिछले साल के मुकाबले इस साल गन्ने से होने वाली औसत रिकवरी में 0.51 फीसदी की कमी आई है। फेडरेशन के प्रबंध निदेशक प्रकाश नैकनवारे कहते हैं, 'करीब 75 से 80 फीसदी मिलों में गन्ने की पेराई का काम मार्च अंत तक बंद हो जाएगा। साथ ही बची हुई मिलों में पेराई का काम अप्रैल मध्य तक बंद हो जाएगा।' वह कहते हैं कि पिछले साल गन्ने की पेराई का काम जून के पहले हफ्ते तक जारी रहा था। पिछले साल महाराष्ट्र में 761 लाख टन गन्ने की पेराई हुई थी। पिछले साल राज्य में कुल चीनी का उत्पादन 91 लाख टन रहा था। साथ ही गन्ने की रिकवरी दर 11.94 फीसदी रही थी। नैकनवारे कहते हैं, 'इस साल हमें 465 लाख टन गन्ने की पेराई होने की उम्मीद है। वहीं, उत्पादन 50 से 52 लाख टन रह सकता है।' महाराष्ट्र में सबसे कम चीनी उत्पादन साल 2003 में हुआ था। उस वक्त राज्य में केवल 22 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। महाराष्ट्र में एस 30 किस्म की चीनी का एक्स-फैक्ट्री भाव 1,930 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है। महाराष्ट्र की मिलें अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की ऊंची कीमतें होने के बावजूद चिंतित हैं। मिलों को लग रहा है कि सरकार चुनाव का साल होने की वजह से इन्हें चीनी के ऊंचे भाव का फायदा नहीं उठाने देगी। नैकनवारे कहते हैं, 'लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के इस साल होने की वजह से हमें लग रहा है कि चीनी की कीमतें स्थिर रहेंगी। अगर इस साल चुनाव नहीं होते तो चीनी की कीमतें 2,400 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच जातीं।' (ET Hindi)

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