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10 फ़रवरी 2015

और घटें अयस्क के दाम

नैशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएमडीसी) ने फरवरी के लिए लौह अयस्क की कीमतों में 11 फीसदी की कटौती करने की घोषणा की है लेकिन कंपनी की यह कवायद इस्पात निर्माताओं को खुश करने में नाकाम रही है। उनका मानना है कि लौह अयस्क की कीमतों में कटौती की गुंजाइश है। पिछले तीन महीनों के दौरान की गई यह पहली कटौती है। एनएमडीसी का लौह अयस्क अभी भी ओडिशा के निजी खननकर्ताओं के मुकाबले करीब 53 फीसदी महंगा है जो 1,800 रुपये प्रति टन की दर से लौह अयस्क की बिक्री करते हैं।

देश की सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी एनएमडीसी ने लौह अयस्क की कीमत 11 फीसदी घटाकर 3,750 रुपये प्रति टन कर दी और लौह अयस्क फाइन की कीमतों में 10 फीसदी की कटौती करके 2,760 रुपये प्रति टन कर दिया। हालांकि सभी प्रकार के करों, ढुलाई और रॉयल्टी को शामिल करने के बाद एनएमडीसी का माल भी आयातित सामान के बराबर ही बैठता है। आयातित अयस्क 64 डॉलर यानी 3,900 रुपये प्रति टन की दर पर लागत एवं ढुलाई आधार पर उपलब्ध है जो पिछले हफ्ते के मुकाबले 2 डॉलर प्रति टन कम है। 

साल-दर-साल आधार पर लौह अयस्कों की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में जनवरी, 2014 में 122 डॉलर प्रति टन के मुकाबले 48 फीसदी तक कम हैं। एस्सार स्टील इंडिया लिमिटेड के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी एच शिवरामकृष्णन ने कहा, 'एनएमडीसी द्वारा हाल में लौह अयस्क फाइन की कीमत में की गई 11 फीसदी कटौती उम्मीद के मुताबिक नहीं है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में आई गिरावट से तुलना करें तो यह कटौती और भी मामूली दिखाई पड़ती है। इसके अलावा ओडिशा में निजी खननकर्ताओं द्वारा कीमतों में की गई कटौती भी काफी अधिक है।'

आयातित लौह अयस्क की कीमत 4,450 रुपये प्रति टन है। इसकी तुलना में एनएमडीसी द्वारा बेचे जाने वाले घरेलू लौह अयस्क की कीमत रॉयल्टी, करों और भाड़े को मिलाकर 4,300 और 4,500 रुपये प्रति टन के बीच ही है। दिल्ली की लौह अयस्क शोध कंपनी ओर टीम रिसर्च के शोध प्रमुख प्रकाश दुवुरी कहते हैं, 'इसका साफ मतलब है कि एनएमडीसी के पास कीमतें घटाने की पर्याप्त संभावना है। देश में इस्पात उत्पादों की कम मांग के मद्देनजर इस्पात उत्पादक इस कटौती से खुश नहीं है।'

जेएसडब्ल्यू स्टील ने एनएमडीसी से कम से कम 1,000 रुपये प्रति टन की कटौती करने की मांग की है। जेएसडब्ल्यू स्टील के उप प्रबंध निदेशक विनोद नोवल कहते हैं, 'देसी बाजार में इस्पात की कोई मांग नहीं हैं। चीन और रूस अपना इस्पात भारत में भेज रहे हैं और अगर हम उनसे मुकाबला नहीं कर सके तो मौजूदा दौर में कारोबार करना हमारे लिए बहुत ही मुश्किल हो जाएगा। एनएमडीसी कीमतों में कटौती नहीं करती है तो उद्योग को उत्पादन में कटौती करनी पड़ेगी।' जेएसडब्ल्यू स्टील ने पहले ही इस बात के संकेत दे दिए हैं कि वह अगले वित्त वर्ष में भी आयात जारी रखेगी।  (Business standerd)

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