आर एस राणा
नई दिल्ली। विष्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण जनवरी महीने में देष से खली निर्यात में 63 फीसदी की भारी गिरावट आई है। जनवरी महीने में देष से 159,892 टन खली का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल जनवरी महीने में 435,966 टन खली का निर्यात हुआ है। चालू वित वर्श 2014-15 के पहले दस महीनों (अप्रैल से जनवरी) के दौरान खली के निर्यात में 44 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 2,021,117 टन का ही हुआ है।
साल्वेंट एक्सटेक्टर्स एसोसिषन ऑफ इंडिया (सीईए) के अनुसार विष्व बाजार में खली की कीमतें कम होने के कारण चालू वित वर्श 2014-15 के पहले दस महीने में निर्यात में भारी कमी आई है जिससे घरेलू प्लांट को संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान देष से कुल 2,021,117 टन खली का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्श की समान अवधि में 3,626,404 टन खली का निर्यात हुआ था। चालू वित वर्श के पहले दस महीनों में निर्यात में सबसे ज्यादा कमी सोयाबीन खली के निर्यात में आई है। हालांकि इस दौरान सरसों खली का निर्यात तो बढ़ा है।
भारतीय बंदरगाह पर जनवरी महीने में सोयाबीन खली की कीमतें घटकर 460 डॉलर प्रति टन रह गई जबकि मई-2014 में इसकी कीतमें 710 डॉलर प्रति टन थी। हालांकि इस दौरान सरसों खली की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। कांडला बंदरगाह पर सरसों खली के दाम मई-2014 में 274 डॉलर प्रति टन थे जबकि जनवरी-2015 में इसकी कीमतें बढ़कर 278 डॉलर प्रति टन हो गई। मूंगफली खली के दाम जनवरी में बंदरगाह पर 439 डॉलर प्रति टन और केस्टरसीड खली की कीमतें 133 डॉलर प्रति टन है। सीईए के अनुसार चालू वित वर्श में खली के निर्यात पर सबसे ज्यादा गिरावट ईरान, ताईवान और थाईलैंड में आई है। इसके अलावा वियतनाम, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय की आयात मांग भी कमजोर रही है।....आर एस राणा
नई दिल्ली। विष्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण जनवरी महीने में देष से खली निर्यात में 63 फीसदी की भारी गिरावट आई है। जनवरी महीने में देष से 159,892 टन खली का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल जनवरी महीने में 435,966 टन खली का निर्यात हुआ है। चालू वित वर्श 2014-15 के पहले दस महीनों (अप्रैल से जनवरी) के दौरान खली के निर्यात में 44 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 2,021,117 टन का ही हुआ है।
साल्वेंट एक्सटेक्टर्स एसोसिषन ऑफ इंडिया (सीईए) के अनुसार विष्व बाजार में खली की कीमतें कम होने के कारण चालू वित वर्श 2014-15 के पहले दस महीने में निर्यात में भारी कमी आई है जिससे घरेलू प्लांट को संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान देष से कुल 2,021,117 टन खली का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्श की समान अवधि में 3,626,404 टन खली का निर्यात हुआ था। चालू वित वर्श के पहले दस महीनों में निर्यात में सबसे ज्यादा कमी सोयाबीन खली के निर्यात में आई है। हालांकि इस दौरान सरसों खली का निर्यात तो बढ़ा है।
भारतीय बंदरगाह पर जनवरी महीने में सोयाबीन खली की कीमतें घटकर 460 डॉलर प्रति टन रह गई जबकि मई-2014 में इसकी कीतमें 710 डॉलर प्रति टन थी। हालांकि इस दौरान सरसों खली की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। कांडला बंदरगाह पर सरसों खली के दाम मई-2014 में 274 डॉलर प्रति टन थे जबकि जनवरी-2015 में इसकी कीमतें बढ़कर 278 डॉलर प्रति टन हो गई। मूंगफली खली के दाम जनवरी में बंदरगाह पर 439 डॉलर प्रति टन और केस्टरसीड खली की कीमतें 133 डॉलर प्रति टन है। सीईए के अनुसार चालू वित वर्श में खली के निर्यात पर सबसे ज्यादा गिरावट ईरान, ताईवान और थाईलैंड में आई है। इसके अलावा वियतनाम, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय की आयात मांग भी कमजोर रही है।....आर एस राणा
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