रिफाइंड खाद्य तेल के आयात में भारी बढ़ोतरी ने देसी रिफाइनरों ने पिछले कुछ महीनों में अपनी परिचालन क्षमता आधी करने को मजबूर कर दिया है। इससे लाखों दिहाड़ी मजदूरों की रोजी छिन गई है। स्थायी कर्मचारियों को भी इस कारण दिक्कत होने लगी है।
फरवरी 2012 में रिफाइंड खाद्य तेल का आयात करीब-करीब तिगुना होकर 3.04 लाख टन पर पहुंच गया जबकि पिछले साल नवंबर में यह 1.10 लाख टन था। इस तरहं खाद्य तेल के कुल आयात में रिफाइंड तेल की हिस्सेदारी फरवरी में बढ़कर 35 फीसदी हो गई जबकि नवंबर में यह 13 फीसदी थी। रिफाइंड तेल का आयात भारतीय कंपनियों के लिए बेहतर है क्योंकि इंडोनेशियाई सरकार ने इस पर 9 फीसदी आयात शुल्क लगाया है जबकि कच्चे पाम तेल पर 18 फीसदी। भारत में कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क नहीं लगता जबकि रिफाइंड पर 7.5 फीसदी शुल्क लगता है, लेकिन इस शुल्क की वसूली टैरिफ वैल्यू पर होती है जो काफी कम है। ऐसे में रिफाइंड तेल पर प्रभावी शुल्क महज 2.5 फीसदी बैठता है। टैरिफ वैल्यू 7 साल पहले तय की गई थी, जो आज की कीमतों के मुकाबले महज एक तिहाई है। सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड (सीओओआईटी) के अध्यक्ष सत्यनारायण अग्रवाल ने कहा कि देसी बाजार में प्रसंस्करण और रिफाइनिंग के लिए कच्चे पाम तेल के आयात पर 1000 रुपये प्रति टन का नुकसान हो रहा है। इस कारण देसी रिफाइनर कच्चे तेल का आयात नहीं करना चाहते। वे रिफाइंड तेल का आयात करते हैं और छोटी इकाइयों में इसकी पैकिंग कर देसी बाजार में बेच देते हैं।
चूंकि रिफाइंड खाद्य तेल के प्रसंस्करण की दरकार नहीं होती, लिहाजा यह जिंस थोक व खुदरा बिक्री के लिए सीधे पैक हो जाती है। इसलिए रिफाइंड तेल के बढ़ते आयात से सीधे-सीधे देसी रिफाइनरों की परिचालन क्षमता घट रही है, जिसे भारतीय कॉरपोरेट जगत ने पिछले कई सालों में बड़े निवेश के जरिए स्थापित किया था।
करगिल इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी सिराज चौधरी ने कहा कि रिफाइनरी के कामकाज को झटका लगा है क्योंकि रिफाइंड तेल का आयात बढ़ गया है। लेकिन आयातित तेल की पैकिंग के लिए भी उद्योग को बड़ी संख्या में कामगारों की दरकार होती है।
भारतीय आयातकों के लिए रिफाइंड खाद्य तेल की खरीद लाभकारी है क्योंकि कच्चे व रिफाइंड तेल की कीमत का अंतर इंडोनेशिया में घटकर महज 30 डॉलर रह गया है जबकि पहले यह 70-80 डॉलर प्रति टन था।
गोदरेज इंटरनैशनल के निदेशक दोराब मिस्त्री ने कुछ समय पहले अनुमान जताया था कि भारत में घटते उत्पादन और बढ़ती खपत की खाई पाटने के लिए खाद्य तेल का आयात इस साल 94 लाख के नए रिकॉर्ड पर पहुंच जाएगा। भारत में 165 लाख टन खाद्य तेल की मांग का अनुमान है।
सीओओआईटी के चेयरमैन ने इसकेहल के दो रास्ते सुझाए हैं। पहला, सरकार टैरिफ वैल्यू में संशोधन करे, जो सात साल पहले कच्चे पाम तेल के लिए 484 डॉलर प्रति टन तय किया गया था। आज के दौर में कच्चे पाम तेल का भाव करीब 1250 डॉलर प्रति टन है। इससे खाद्य तेल की कीमतों में थोड़ा इजाफा तो होगा, लेकिन देसी रिफाइनरों के हित में यह जरूरी है। (BS Hindi)
11 अप्रैल 2012
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