मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत वर्ष 2010-11 के दौरान देश में मौसम के कारण खराब हुई फसलों के लिए किसानों को 465 करोड़ रुपये मुआवजे का भुगतान किया जा चुका है। देशभर में करीब 10.6 लाख किसानों को उनकी फसलों के बीमा का लाभ मिला। फसली बीमा के मुआवजे का लाभ सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश के किसानों को मिला। इसके अलावा खरीफ 2011 में मध्य प्रदेश के 1.36 लाख किसानों को 247 करोड़ रुपये के बीमा मुआवजे का भुगतान किया गया।
एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (एआईसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2010-11 के दौरान मौसम आधारित फसल बीमा योजना के दौरान 577 करोड़ रुपये के क्लेम मंजूर किए गए, जिनमें से 465 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इनमें सबसे ज्यादा भुगतान मध्य प्रदेश के 5.3 लाख किसानों को 270 करोड़ रुपये और तमिलनाडु के 2.6 लाख किसानों को 226 करोड़ रुपये का मुआवजा मिला।
उन्होंने बताया कि खरीफ 2011 की फसलों को हुए नुकसान और उसके लिए दिए गए मुआवजे की रिपोर्ट मिलने लगी हैं। मध्य प्रदेश के 1.36 लाख किसानों को खरीफ 2011 में करीब 247 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।
अन्य राज्यों से रिपोर्ट आनी शुरू हो गई है। उसी आधार पर कंपनी ने भुगतान भी शुरू कर दिया है। राज्य सरकारें केंद्र को फसल की कटाई के बाद रिपोर्ट भेजती हैं, उसके आधार पर केंद्र सरकार एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी को आंकड़े उपलब्ध कराती है। जिसके आधार पर नुकसान की गणना कर किसानों को बैंकों के माध्यम से मुआवजा दिया जाता है। योजना में अनाज, दलहन, तिलहन जैसी फसलों के अलावा व्यावसायिक और हॉर्टीकल्चर फसलें भी शामिल हैं।
बीमा के लिए प्रीमियम फसल के अनुमानित मूल्य का 1.5 से 3.5 फीसदी होता है। लघु एवं सीमांत (एक हैक्टेयर या दो हैक्टेयर जोत वाले) किसानों को सरकार की तरफ से प्रीमियम में 10 फीसदी सब्सिडी दी जाती है। जिसका वहन राज्य और केंद्र मिलकर 50-50 फीसदी के आधार पर करती हैं। बैंकों से कर्ज लेने वाले किसानों के लिए फसल बीमा लेना अनिवार्य है, जबकि दूसरे किसानों के लिए यह उनकी मर्जी पर निर्भर करता है।
उन्होंने बताया कि किसानों को रबी फसलों का बीमा बुवाई के एक महीना बाद या 31 दिसंबर, जो भी पहले हो, तक कराना अनिवार्य होता है। इसके अलावा खरीफ फसलों के लिए 31 जुलाई तक बीमा कराना अनिवार्य है। नुकसान का आकलन राज्य स्तर पर होता है। (Business Bhaskar...R S Rana)
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