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केंद्र सरकार खाद्य तेलों और दालों की बेलगाम तेजी पर अंकुश लगाने के लिए सक्रिय हो गई है। केंद्र ने सभी राज्यों से दाल और खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट लगाने के लिए राज्यों के सिफारिश की है। स्टॉक लिमिट लगाने राज्यों के अधिकार में होने की वजह से इसके बारे में फैसला राज्य सरकारों को ही करना है।
महाराष्ट्र सरकार ने दालों पर स्टॉक लिमिट पहले ही लगा रखी है जबकि मध्य प्रदेश और गुजरात भी दलहन और तिलहनों पर स्टॉक लिमिट लगा सकते हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर दलहन और तिलहनों पर स्टॉक लिमिट लगाने की अवधि को 30 सितंबर 2012 तक बढ़ा दी थी।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार दालों और खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी पर अंकुश लगाने के लिए उचित कदम उठा रही है। स्टॉक लिमिट लगाने का अधिकार राज्य सरकारों के पास है इसीलिए राज्य सरकारों से दलहन और तिलहनों पर स्टॉक लिमिट लगाने की सिफारिश की गई है।
उन्होंने बताया कि गुजरात और मध्य प्रदेश में जल्दी ही दलहन और तिलहनों पर स्टॉक लिमिट लगाई जा सकती है जबकि महाराष्ट्र में राज्य सरकार ने व्यापारियों और मिलों पर दालों का स्टॉक रखने की लिमिट पहले ही लगा रखी है। मध्य प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एंटोनी जे. सी. डीसा ने बताया कि हम दलहन और खाद्य तेलों की कीमतों पर बराबर नजर रखे हुए हैं। अगर कीमतों में और तेजी आती है तो राज्य में दलहन और तिलहनों पर स्टॉक लिमिट लगाई जाएगी।
खुदरा बाजार में जनवरी से अभी तक जहां खाद्य तेलों की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति 10 किलो की तेजी आई है वहीं चना दाल और राजमा के दाम इस दौरान 500 से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गए हैं। सरसों तेल की थोक कीमतें बढ़कर 830 रुपये, मूंगफली तेल की 120 रुपये, सोया रिफाइंड की 750 रुपये और आरबीडी पामोलीन की 640 रुपये प्रति 10 किलो हो गई। इसी तरह से चना दाम के दाम बढ़कर 4,300-4,500 रुपये राजमा दाल के 7,800 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। चना और सरसों के वायदा कारोबार पर भी सरकार ने अतिरिक्त मार्जिन लगाया है।
चालू विपणन सीजन के लिए केंद्र सरकार ने चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,800 रुपये और सरसों का एमएसपी 2,500 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2011-12 में चने का उत्पादन 76.6 लाख टन होने का अनुमान है जो पिछले साल के 82.2 लाख टन से थोड़ा कम है। इसी तरह से सरसों का उत्पादन पिछले साल के 81.79 लाख टन से घटकर 75 लाख टन होने का अनुमान है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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