सरकार द्वारा कॉटन निर्यात के लिए नए पंजीकरण सौदों को अनुमति नहीं दिए जाने से कीमतों में गिरावट की संभावना है। यार्न मिलों के पास भी अच्छा स्टॉक है। जबकि उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक लगभग एक लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) से ज्यादा की हो रही है।
चालू महीने में उत्पादक मंडियों में कॉटन की कीमतों में 500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की गिरावट आई भी है। जबकि वायदा बाजार में चालू महीने में कपास की कीमतों में 5.6 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
एनसीडीईएक्स पर अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में चालू महीने में कपास की कीमतों में 5.6 फीसदी की गिरावट आई है। 31 मार्च को अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में कपास का भाव 786.5 रुपये प्रति 20 किलो था जबकि शुक्रवार को भाव घट कर 806 रुपये प्रति 20 किलो पर कारोबार करते देखा गया। अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में 6,125 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं। ब्रोकिंग फर्म एंजेल कमोडिटी के एग्री विश£ेशक बद्दरूदीन ने बताया कि निर्यात के लिए नए पंजीकरण सौदों को मंजूरी नहीं दिए जाने से मौजूदा कीमतों में और भी गिरावट आने का अनुमान है।
केसीटी एंड एसोसिएट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश राठी ने बताया कि सरकार ने कॉटन के निर्यात के लिए नए निर्यात पंजीकरण सौदों की अनुमति नहीं दी है। केवल उन्हीं सौदों का निर्यात हो पायेगा जिनका पंजीकरण पहले हो चुका है तथा इनकी जांच भी विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा की जा रही है। ऐसे में केवल 10 लाख गांठ का ही और निर्यात हो पायेगा है। वैसे भी यार्न मिलों के पास स्टॉक ज्यादा है जबकि दैनिक आवक एक लाख गांठ से ज्यादा की हो रही है इसीलिए कॉटन की मौजूदा कीमतों में गिरावट बनी हुई है।
मुक्तसर कॉटन प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर नवीन ग्रोवर ने बताया कि निर्यातकों के साथ स्टॉकिस्टों के पास भी कपास का स्टॉक ज्यादा है। ऐसे में आगामी दिनों में स्टॉकिस्टों की बिकवाली की भी बढऩे की संभावना है। जिससे मौजूदा कीमतों में और भी 500 से 1,000 रुपये प्रति कैंडी की गिरावट आ सकती है।
अहमदाबाद में शुक्रवार को शंकर-6 किस्म की कपास का भाव घटकर 34,200 से 34,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) का रह गया। जबकि 31 मार्च को इसका भाव 34,700 रुपये से 35,000 रुपये प्रति गांठ था। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार 2011-12 में कॉटन का उत्पादन 340.87 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2010-11 में 330 लाख गांठ का हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें