निर्यात कोटा आवंटन की नई नीति 'पहले आओ पहले पाओ' से तटीय इलाके की चुनिंदा बड़ी मिलों को ही फायदा मिलने वाला है। इसके अलावा बड़े कारोबारियों को भी इसका फायदा मिलेगा। छोटी मिलें तटीय इलाकों से दूर हैं, लिहाजा ये मिलें निर्यात कोटा आवंटन से महरूम हो सकती हैं।
ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल 6) के तहत सरकार ने हाल में 10 लाख टन चीनी निर्यात कोटे का आवंटन पहले आओ पहले पाओ नीति के तहत किया है। ओजीएल 4 और 5 के तहत 10-10 लाख टन निर्यात कोटे का आवंटन समान व पारदर्शी नीति के तहत किया गया था। लेकिन ताजा आवंटन के बारे में अभी अधिसूचना जारी नहीं हुई है। पिछले दो आवंटन में छोटी मिलों को काफी कम कोटा मिला था क्योंकि कोटे का आवंटन आनुपातिक रूप से किया गया था। महाराष्ट्र की कुछ मिलों को 100 टन तक का लाइसेंस मिल गया। चूंकि कंटेनर में 25,000 से 26,000 टन की दरकार होती है, लिहाजा छोटी मिलों ने निर्यात ऑर्डर का क्रियान्वयन तीसरे पक्षकार को पंजीकरण प्रमाणपत्र बेचकर किया और इसके लिए उन्हें 2000 रुपये से लेकर 3000 रुपये प्रति टन का प्रीमियम हासिल हुआ।
द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्री के सीएमडी जी आर मोरारका के मुताबिक, निर्यात कोटा आवंटन की नई पद्धति से श्री रेणुका शुगर्स और शक्ति शुगर्स जैसी चुनिंदा मिलों को ही फायदा होगा क्योंकि ये बंदरगाह के पास हैं। उनके अलावा करीब आधा दर्जन कारोबारी इसका फायदा उठा पाएंगे। बाकी 97 फीसदी से ज्यादा चीनी मिलें कोटा आवंटन की नई पद्धति पहले आओ पहले पाओ से फायदा नहीं उठा पाएंगी। पिछले आवंटन ओजीएल 5 में द्वारिकेश शुगर्स को कुल 8172 टन आवंटित हुआ था, लेकिन कंपनी ने इसे तीसरे पक्षकार को बेच दिया था।
कोटा आवंटन की मौजूदा व्यवस्था में हालांकि सरकार चीनी मिलों के पिछले तीन साल के उत्पादन को आधार बनाती है और उसके आधार पर ही उन्हें कोटा आवंटित होता है। लेकिन निर्यात कोटे की अल्पमात्रा से भी छोटी मिलों को कुछ प्रीमियम मिल जाता है, जो उनके नकदी प्रवाह में सुधार के लिए लाभकारी होता है और गन्ना किसानों के बकाया भुगतान में भी। सरकार ने मौजूदा सीजन में 20 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी है और इसके अतिरिक्त पिछले सीजन का करीब 5 लाख टन कैरीओवर कोटा है। इसमें से महज 12 लाख टन का निर्यात ही हो पाया है। इसका मतलब यह हुआ कि मौजूदा सीजन के आवंटन से करीब 6 लाख टन का निर्यात हुआ है।
पहले 10 लाख टन के रिलीज ऑर्डर के तहत 16 फरवरी तक निर्यात की अनुमति दी गई थी। चूंकि यह 16 अप्रैल तक वैध है। 10 लाख टन के दूसरे आवंटन में हालांकि रिलीज ऑर्डर 17 अप्रैल तक का है। इसका मतलब यह हुआ कि रिलीज ऑर्डर की तारीख से दो महीने आगे तक इसका निर्यात किया जा सकता है।
इस्मा के महासचिव अविनाश वर्मा ने कहा कि इसी वजह से निर्यात धीरे-धीरे हो रहा है। उद्योग के सूत्रों ने कहा कि सरकार जल्द ही नई नीति का ऐलान करेगी। श्री रेणुका शुगर्स के प्रबंध निदेशक नरेंद्र मुरकुंबी ने कहा - ओजीएल 5 के तहत छोटी मिलों के लिए यह महज कुछ लाख रुपये की ही बात है। चीनी निर्यात से भंडार घटेगा और इसके नतीजे में देसी बाजार में ज्यादा कीमतें मिलेंगी। (BS Hindi)
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